इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए वन विभाग ने हर जिले में लव कुश वाटिका तैयार करने की पहल की है। लव कुश वाटिका में इको टूरिज्म के तहत फल व फूलदार पौधे लगाए जाएंगे। घना जंगल तैयार किया जाएगा। साइन बोर्ड, वॉच टावर, रेस्ट एरिया व बच्चों के खेलने के लिए अलग से गार्डन तैयार होगा। अलवर में लव कुश वाटिका के लिए चूहडसिद्ध की पहाड़ी को चिह्नित किया गया है।
वन क्षेत्र बढ़ाने और पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास शहरी क्षेत्र में तेजी से हो रही पेड़ों की कटाई व कम हो रहे जंगल क्षेत्र को देखते हुए सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों में लव कुश वाटिका बनाने का फैसला किया है। अलवर में लव कुश वाटिका के लिए चूहडसिद्ध क्षेत्र में 70 हैक्टेयर में पहाड़ी को विकसित किया जाएगा। इस पहाड़ी पर एक मंदिर है। यह पूरी पहाड़ी पलाश के फूलों से लदी हुई है। इसलिए पहाड़ी की सुंदरता सब को अपनी और आकर्षित करती है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि एक जुलाई से इस पूरे एरिया को विकसित करने का काम शुरू होगा तथा 14 नवंबर तक पूरे क्षेत्र को इको टूरिज्म के तहत विकसित करने की योजना है। चिल्ड्रन डे के दिन आम लोगों के लिए इसे खोला जाएगा। इस वाटिका में लोग अपने परिवार के साथ सैर सपाटा कर सकेंगे। पूरी वाटिका को प्लास्टिक फ्री बनाया जाएगा। इसमें युवाओं के घूमने के लिए अलग ट्रैक रहेगा। साथ ही बच्चों के लिए चिल्ड्रन पार्क तैयार किया जाएगा।
इकोट्रैक किया जाएगा तैयार
इकोट्रैक किया जाएगा तैयार
अलवर वन मंडल के डीएफओ एके श्रीवास्तव ने बताया कि इस पूरे क्षेत्र में फल व फूलदार पौधे लगाए जाएंगे। इकोट्रैक तैयार किया जाएगा। इस पर पत्थर बिछाए जाएंगे। इस ट्रैक पर लोग घूम सकेंगे। पहाड़ी क्षेत्र में पेड़ पौधे लगाकर घना जंगल तैयार किया जाएगा। जगह-जगह साइन बोर्ड लगाए जाएंगे। वॉच टावर बनाए जाएंगे। लोगों के बैठने के लिए रेस्ट एरिया तैयार किया जाएगा। बच्चों के लिए अलग से चिल्ड्रन पार्क तैयार होगा। इसके अलावा आगामी दिनों में टैंट व कैंपेन के लिए यहां व्यवस्था रहेगी। इसका प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेज दिया गया है। यह पहाड़ी अपने आप में अलग होगी। यहां प्रकृति से किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं करते हुए पहाड़ी क्षेत्र को नेचुरल तरह से विकसित किया जाएगा।
सरकार ने दिए निर्देश वन अधिकारियों का कहना है कि सरकार की ओर से लव कुश वाटिका तैयार करने के निर्देश मिल चुके हैं। सभी जगहों पर काम शुरू हो रहा है। इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए वन विभाग की तरफ से इस क्षेत्र को तैयार किया जाएगा।