बांध की पाल पर प्राचीन काल में दो छत्तरिया बनी हुई थी। लेकिन अब वो पूरी तरह से नष्ट होकर अपना अस्तित्व खो चुकी है। बांध के पास बराई माता का प्राचीन मन्दिर भी बना हुआ है। प्राचीन किले में महादेव जी का मन्दिर बना हुआ था लेकिन प्राचीन मूर्तियो को चोर ले जा चुके है। किले के अंदर जगह-जगह लोगों ने खुदाई की। किले की दीवारे जगह-जगह से जर्जर होकर खंडहर बन चुकी है।
माचाड़ी में हैं कई ऐतिहासिक धरोहर इसके अलावा माचाड़ी कस्बे के बावन देवजी महाराज का प्राचीन मन्दिर बना हुआ है। मन्दिर के सभी खम्भों पर मूर्तियां उभरी हुई थी।आज यह मन्दिर जर्जर अवस्था में है। माचाड़ी निवासी शिवदत्त पुरोहित का कहना है कि माचाड़ी की ऐतिहासिक विरासत किले का जीर्णोद्वार करके इसे हेरिटेज होटल बनाया जा सकता है। माचाडी में बावन देवजी का मन्दिर, रानी का कुआं भी माचाड़ी कस्बे एवं देश की संस्कृति का बखान करते है। पर्यटकों को लुभाने के लिए अपना अस्तित्व रखते है। उधर, नागपाल शर्मा का कहना है कि माचाड़ी का प्राचीन किला चारों ओर से पहाड़ी से घिरा हुआ है। पहाड़ी की तलहटी में एक बांध है। प्रशासन की अनदेखी व सारसम्भाल के अभाव में किला खण्डर होता जा रहा है। विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष समर्थलाल मीणा के कार्यकाल में सरकार की ओर से माचाडी के प्राचीन किले को हेरिटेज होटल बनाकर पर्यटको के लिए चालू करने का प्रस्ताव रखा गया था। लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। सरकार इस ओर ध्यान देकर माचाड़ी के किले को हेरिटेज होटल के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव मंजूर कर इसका जीर्णोद्वार कराए जिससे पर्यटको को बढ़ावा मिलेगा।