समाज की महिलाएं भी अब बेटियों को पढ़ाकर उन्हें आगे बढ़ाना चाहती हैं। उन्हें पुरुषों की बराबरी का हक दिलाना चाहती हैं। इससे बेटियों के जीवन में बड़ा बदलाव आने लगा है। उनमें अब आगे बढऩे, कुछ कर दिखाने, अपने सपने पूरे करने की होड मची है। मेवात की बेटियां अपनी पहचान बनाने को लालायित हैं। शिक्षा से मेवात की सोच में बड़ा बदलाव आया है।
हम बात कर रहे हैं, अलवर के बगड मेव की रहने वाली साइना की जिनकी लाइफ स्टाइल किसी बेटे से कम नहीं है, सलवार कुर्ता पहनकर यह फर्राटे से मोटर साइकिल दौड़ाती है और मिनटों में अंदर और बाहर के काम कर देती है। साइना के पिता सेना में काम करते हैं उन्होंने ही मोटर साइकिल चलाना सिखाया है। वह घर की इकलौती बेटी है और गांव से शहर तक प्रतिदिन सारे काम मोटर साइकिल से करती हैं। वह गांव से शहर तक अकेली ही आती जाती है। साइना ने कला विषय से बारहवीं तक की पढ़ाई की और अब कुछ बनना चाहती है। मां हीरा को अपनी इस बेटी पर बड़ा गर्व है क्योंकि ये बेटी किसी बेटे से कम नहीं है।
किसी पर निर्भर नहीं है बेटियां साइना की मां ने बताया कि उसके पिता छुटिटयों में ही आते हैं, ऐसे में छोटे और बड़े काम के लिए मुझे दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है, इसलिए बहुत जरुरी हो गया कि वह बेटी को कुछ काबिल बनाए, उसने बताया कि मैं अनपढ़ हूं, मुझे खुशी है कि मेरी बेटी इस दौर में आगे बढ़ रही है। उसने बताया कि बेटी के मोटरसाइकिल सीखने से हमारी जिंदगी बहुत आसान हो गई है । इसके दो छोटे भाई है जो अभी स्कूल जाते हैं। ऐसे में घर के सारे काम करने की जिम्मेदारी इसने ही संभाली हुई है।