चिकित्सा व्यवस्था में सुधारने की बजाय स्थिति और बदहाल ही हुई। क्षेत्र की जिला मुख्यालय से दूरी करीब 50 किलोमीटर होने से क्षेत्र की जनता को इलाज के लिए परेशानियां झेलनी पड़ी। यही नहीं क्षेत्र की जनता को थानागाजी में प्रसव की सुविधा भी नहीं मिल पाई। सदैव ही स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारियों का टोटा रहा। थानागाजी में महिला कालेज नहीं खुल पाने से भी लोगों को निराशा हुई। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के पद रिक्त हैं। थानागाजी में पार्किंग सुविधा नहीं है, इस कारण मुख्य मार्ग कस्बे के बीच होकर गुजरता है, जिससे रोज जाम की स्थिति रहती है। कस्बे में गंदगी की समस्या भी यथावत रही, थानागाजी कस्बे का गंदा पानी रूपा रेल नदी में छोडऩे का भी लोगों ने विरोध किया, लेकिन समस्या का निदान नहीं हो पाया।
क्षेत्र में अवैध खनन भी पांव पसारता रहा, लेकिन इस पर रोक की प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी। बीते पांच साल में क्षेत्र में अपराधों का ग्राफ भी बढ़ा। क्षेत्र के नीमडी गांव में बंजारा बस्ती में आग लगाने, गोलाका बास प्रकरण, घाटा में वृद्धा के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटनाओं की अलवर जिला ही नहीं प्रदेश में भी गूंज रही।