अलवर सेंट्रल जेल में करीब 900 महिला व पुरुष बंदी हैं। यहां कई कुख्यात अपराधी बंद हैं। जो जेल प्रशासन की मिलीभगत से जेल अंदर मोबाइल चला रहे हैं। मोबाइल के माध्यम से वह बाहर अपने गुर्गों से लगातार सम्पर्क में हैं। उनके माध्यम से वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। लोगों को डरा-धमका रहे हैं और फिरौती वसूल रहे हैं। पूर्व में जेल के भीतर से फोन कर डरा-धमकाने, फिरौती वसूलने और वारदात को अंजाम दिलाने के मामले सामने आ चुके हैं। पुलिस और प्रशासन तलाशी के दौरान बंदियों के कब्जे और उनके बैरक से मोबाइल व सिम आदि बरामद हो चुके हैं। हाल ही जेल प्रशासन और पुलिस टीम ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए अलवर जेल में बंदियों के कब्जे और उनके बैरक से नौ मोबाइल व चार सिमकार्ड जब्त किए थे।
जेल प्रशासन की मिलीभगत से पहुंच रहे मोबाइल जेल में बंदियों को बाहर लाने व ले जाने के दौरान गहनता से तलाशी ली जाती है। इसके अलावा उनके लिए बाहर से आने वाले सामान को भी तलाशी के बाद ही अंदर जाने दिया जाता है। ऐसे में यदि बंदियों के पास जेल के भीतर तक मोबाइल पहुंचते हैं तो उसके पीछे सीधे तौर पर जेल प्रशासन जिम्मेदार है। जेल प्रशासन की मिलीभगत से ही बंदियों के पास मोबाइल पहुंच रहे हैं।
कैमरे खराब, जैमर भी नहीं अलवर सेंट्रल जेल की सुरक्षा और बंदियों पर निगरानी रखने के लिए विभिन्न हिस्सों में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। हैरत की बात है कि ये सभी कैमरे लम्बे समय से खराब पड़े हैं, जिन्हें जेल प्रशासन दुरुस्त ही नहीं करा रहा है। पिछले दिनों सीजेएम रेणुका हुड्डा ने जेल का निरीक्षण किया तो सीसीटीवी कैमरे खराब होने का खुलासा हुआ। इसके अलावा सेंट्रल जेल होने के बावजूद यहां जैमर तक नहीं लगे हुए हैं। यदि जेल में जैमर लगा दिए जाएं तो जेल के भीतर मोबाइल काम नहीं कर सकेंगे।