बीमार न हो इस पर 100 करोड़ से ज्यादा खर्च जिले को साफ-सुथरा रखा जाए। इसके लिए नगर परिषद, नगर निकाय, ग्राम पंचायतों पर एक साल में करीब 100 करोड़ रुपए से अधिक पैसा खर्च होता है। निजी सफाई पर करीब 30 करोड़ रुपए खर्च होता है। इसके अलावा सफाईकर्मियों की तनख्वाह व कई तरह के नए कार्यों पर 50 से 60 करोड़ रुपया खर्च होता है। हाल में
स्वच्छ भारत अभियान पर तो बड़ा पैसा खर्च किया गया है। औसतन 80 से 100 करोड़ साल भर में ठेकेदार व कर्मचारियों के पास जाता है। ताकि गंदगी नहीं रहे। संक्रमण नहीं हो। जनता बीमार नहीं पड़े। इतना बजट खर्च करने के बावजूद भी जिला मुख्यालय के हाल सबसे बुरे हैं। अन्य निकाय व ग्राम पंचायतों पर भी बुरा हाल है। तभी तो हर बार बीमारी के मौसम में सरकारी व निजी अस्पतालों में जगह नहीं मिलती है।
फैक्ट फाइल सफाई पर एक साल में खर्च कुल – करीब 80 से 100 करोड़
अलवर शहर में ठेके पर खर्च – करीब 8 करोड़
स्थाईकर्मी – करीब 120
सुलभ शौचालय, मूत्रालय, नाला निर्माण जैसे कार्यों पर – कई करोड़ खर्च।
सरकारी दवा खा रहे – करीब 185 करोड़ रुपए की
निजी अस्पतालों में इलाज – करीब 500 करोड़ रुपए
जिले में होलसेलर दवा केन्द्र – करीब 300 जिले में मेडिकल – करीब 1500
बड़े जिला अस्पताल – 03
जिले में सीएचसी – 35
जिले में पीएचसी – 122