कर्मचारियों की ज्यादा जरूरत होगी टाइगर की दिन रात मॉनिटरिंग व्यवस्था शुरू करने में वनकर्मियों की कमी सबसे बड़ी परेशानी है। सरिस्का में वर्तमान बाघों के हिसाब से करीब 42 प्रशिक्षित व 42 ही वनकर्मियों की जरूरत होगी। वहीं कुछ कर्मचारी एवजी भी रखना जरूरी होगा। जबकि वर्तमान में 12 प्रशिक्षित और 12 वनकर्मियों से काम चलाया जा रहा है। सरिस्का में वर्तमान में 102 बीटों पर करीब 105 वनकर्मी है। इनमें भी एक तिहाई महिला वनकर्मी है, जिनमें से ज्यादातर कार्यालय में वायरलैस एवं अन्य कार्यों पर लगाई हुई हैं। यानि करीब 70 वनकर्मी फील्ड ड्यूटी पर तैनात हैं। इनमें भी यदि 42 से ज्यादा बाघों की मॉनिटरिंग पर लगा दिए तो जंगल व वन्यजीवों की सुरक्षा में संकट खड़ा हो सकता है। यही सरिस्का प्रशासन की बड़ी परेशानी है।
बाघों की मॉनिटरिंग का भार अब सरिस्का पर ही पहले सरिस्का में बाघों की मॉनिटरिंग का भार भारतीय वन्यजीव संस्थान पर था। उनका एक प्रशिक्षित कर्मचारी बाघ की मॉनिटरिंग टीम में शामिल होता था। इसका भुगतान भी भारतीय वन्यजीव संस्थान करता था। पिछले कुछ महीनों से भारतीय वन्यजीव संस्थान सरिस्का में बाघों की मॉनिटरिंग से हाथ खींच लिए, इस कारण अब सरिस्का प्रशासन पर ही बाघों की मॉनिटरिंग का भार आ गया है। हालांकि इसके लिए सरकार की ओर से सरिस्का प्रशासन को बजट का प्रावधान किया गया है, लेकिन कर्मचारियों की समस्या का निराकरण अब तक नहीं हो पाया है।
मॉनिटरिंग की कमी से पहले भी कई टाइगर गंवा चुके जान मॉनिटरिंग की कमी के चलते पहले भी सरिस्का में कई टाइगर का शिकार हो चुका है। गत एक दशक में ही सरिस्का में तीन टाइगर कम हो गए। इनमें एसटी-1 की जहर देने से मौत हो गई, वहीं एसटी-11 की फंदे में फंसने से शिकार हो गया। वहीं बाघिन एसटी-5 छह महीने से गायब है। इन तीनों टाइगर के कम होने में मॉनिटरिंग की खामी बड़ा कारण रहा। बाघों की उचित मॉनिटरिंग नहीं होने से तीनों टाइगर का समय रहते सरिस्का प्रशासन को पता नहीं चल पाया। यही कारण है कि अब बाघों की दिन रात मॉनिटरिंग की योजना तैयार की जा रही है।