अलवर

जानिए क्या वजह है कि अलवर में मरीज अस्पताल जाने से डर रहे हैं

फोटो – जहां बंदर और कुत्ते के काटे का हो रहा इलाज, वहां भी है इनका आतंकसामान्य चिकित्सालय में बंदरों का आतंक, खौफ के साए में जी रहे हैं मरीज
अलवर . अलवर जिले में इन दिनों बंदरों और आवारा कुत्तों की संख्या बहुत अधिक हो गई है। आवारा बंदरों व कुत्तों की वजह से आए दिन कोई ना कोई दुर्घटना हो रही , जिससे सैंकडों लोग जीवन भर के लिए अपाहिज हो गए हैं।

अलवरJan 11, 2020 / 12:42 pm

Jyoti Sharma

जानिए क्या वजह है कि अलवर में मरीज अस्पताल जाने से डर रहे हैं

अलवर के सामान्य चिकित्सालय में इन दिनों प्रतिमाह करीब 2200 से ज्यादा मामले आ रहे हैं। जो कि जयपुर के बाद सबसे ज्यादा है। इतना होने के बाद भी ना तो नगर परिषद का इस और कोई ध्यान है और ना ही वन विभाग कोई कदम उठा रहा है।
सरकारी अस्पतालों में भी बंदरों व कुत्तों का आतंक
इधर, जिस सरकारी अस्पताल में मरीज बचाव के लिए आ रहा है वहां भी वह इनसे बच नहीं पाता है। अलवर के सरकारी अस्पताल में हर तरफ कुत्तों और बंदरों का आतंक है। यहां हर तरफ तारों पर बंदर झूलते हुए दिख जाते हैं। सबसे ज्यादा बंदर आईएमए हॉल की तरफ रहते हैं। यहां बंदर कभी पेंशनर की दवा उठा ले जाते हैँ और कभी खाने पीने का सामान छिन लेते हैं। इधर, अस्पताल परिसर के अंदर बरामदों में ही नहीं बल्कि वार्डों में भी सुबह शाम आवारा कुत्तों का जमावडा रहता है। जो बडी आसानी से मरीजों की अलमारी में से खाने पीने का सामान ले जाते हैं।
जयपुर रोड हैं डेंजर जोन
अलवर शहर में किशनकुंड, भूरासिद्ध, काला कुंआ, कचहरी परिसर, कंपनी बाग, राजर्षि कॉलेज आदि जगहों पर बंदरों की भरमार है। इसके अलावा जयपुर रोड अकबरपुर, उमरैण, सिलिसेढ, नारायणपुर, थानागाजी में बंदर काटने के मामले बहुत ज्यादा आ रहे हैं। इसलिए इसे डेंजर जोन कहा जा रहा है।
दान के नाम पर हो रही परेशानी
मंगलवार व शनिवार को लोग दान पुण्य करने के लिए बंदरों को केले, चने आदि सामान खाने को देते हैं, इसी तरह से कुत्तों को भी अक्सर बिस्कुट,रोटी, दूध व अन्य सामान खाने के लिए देते हैं। इसके चलते ये अन्य जानवर अन्य लोगों से भी यही अपेक्षा करते हैं कि उन्हें कुछ खाने को मिलेगा। जब इनको भगाया जाता है तो ये उलटा ही काट खाते हैं।
बंदर व कुत्ते के काटने से होता है रेबिज रोग
कुत्ते और बंदर के काटने पर मरीज को रेबिज नामक रोग हो जाता है। जो बहुत ही घातक होता है। इसके उपचार के लिए पहले सात इंजेक्शन लगाए जाते थे, लेकिन अब चार इंजेक्शन लगाए जाते हैं। जो कि सरकारी अस्पतालों में निशुल्क लगाए जाते हैं। अलवर के सरकारी अस्पताल में अलवर शहर से ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों से भी मरीज इंजेक्शन लगाने के लिए आते हैं।
5 हजार का टीका निशुल्क

अलवर जिला मुख्यालय पर स्थित सरकारी अस्पताल में एंटी रेबिज इंजेक्शन लगाया जाता है जिसकी कीमत करीब 5000 रुपए हैं। यह अन्य सीएचसी व पीएचसी पर उपलब्ध नहीं है। मरीज को यदि सेंसटिव जगह पर बंदर काटता है जैसे चेहरा, आंख, मंंूह आदि पर तो ही यह टीका लगाया जाता है। इसके साथ ही एंटी रेबिज सीरम भी मुफ्त मिलता है।
वर्जन —
अलवर में इन दिनों रेबिज के करीब 80 से 90 मामले प्रतिदिन आ रहे हैं। संबंधित विभागों को इनको पकडने के प्रयास करने चाहिए, आए दिन हादसे हो रहे हैं। जयपुर रोड व सरिस्का क्षेत्र से सबसे ज्यादा मामले आ रहे हैं। अस्पताल में भी बंदर व कुत्तों को पकडने के लिए कई बार नगर परिषद को कहा जा चुका है।
राजेंद्र चौधरी, प्रभारी, एमओटी ,अलवर।
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