अंकल, पापा के हत्यारों को फांसी मिलनी चाहिए मुकेश के जाने का गम घर के एक कोने में सहमी-सिकुड़ी बैठी उसकी पत्नी की आंखों में साफ झलक रहा था। वह मुंह से तो कुछ नहीं बोल रही थी, लेकिन उसकी डबडबाई आंखें सारी कहानी कह रही थी। पति के जाने का गम क्या होता है, यह उसका हृदय ही बता सकता था। कभी वह अपनी नन्हीं बेटियों तो कभी अपने पति की तस्वीर को देख रही थी। मुकेश की बेटी योशिका व हैनी का हाल भी किसी से छिपा नहीं था। हैनी तो अभी नासमझ है, लेकिन योशिका सब समझती है। अपनी मां और दादी को रोते देख वह भी रोने लग जाती। तो कभी वह दादा-दादी का हौसला अफजाई करने लगती। बार-बार उसके मुंह से यह निकल रहा था कि अंकल, पापा के हत्यारों को फांसी मिलनी चाहिए। प्लीज आप कुछ ऐसा करो।