उद्योगतियों के अनुसार अब तक हम मुश्किल से उद्योगों को चला रहे थे। आसपास के गांव में बने कच्चे मार्गो से होकर माल मंगवाने व ले जाने का कार्य होता रहा था। अब उन रास्तों को भी बंद कर दिए जाने से उद्योग लगभग 90 प्रतिशत बंद हो गए हैं। औद्योगिक क्षेत्र में कार्यरत हजारों श्रमिकों एवं कर्मचारियों को मजबूरन कार्य पर नहीं रख पाएंगे, जिससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उद्योगों से जुड़े परिवार प्रभावित होंगे व राजकीय राजस्व को भी बहुत बड़ी हानि होगी।
उद्योगपतियों ने बताया की मुख्य मार्ग के अवरुद्ध हो जाने के बाद उद्योगों को चलाने के लिए अन्य मार्गो से कच्चे माल को मंगवाना शुरू किया था किंतु पेट्रोल – डीजल के दामों में लगातार वृद्धि होने की वजह से अब उद्योगों ने उत्पादन कार्य लगभग 60 प्रतिशत कम कर दिया है। इस समय तैयार माल का बड़े व्यापारिक केंद्रों में पहुंचाना भी उद्योगों के लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण हो गया है । उद्योगों में श्रमिकों का पारी अनुसार नहीं पहुंच पाना भी उत्पादन प्रक्रिया में विराम लगा रहा है । कर्मचारियों की उपस्थिति कम होने से उद्योगों की उत्पादन गतिविधियां लगभग रुक गई है जिसके चलते उद्योगों ने 10 दिन का मरम्मत कार्य अवकाश घोषित कर दिया था, किंतु अब परेशानी बढ़ती जा रही है।
यहां के नीमराना, केशवाना , सोतानाला, घिलोट, बहरोड़ व शाहजहांपुर में करीब 800 उद्योगों में मध्यम, कुटीर, लघु एवं सूक्ष्म उद्योग हैं जिनको चलाना काफी चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। निवेशकों का मनोबल पहले कोरोना और अब किसान आंदोलन ने तोड़ दिया है इससे मुख्यत: भारतीय एवं जापानी कंपनियां इससे अधिक प्रभावित हैं ।
यह चिंता जताने वालों में नीमराना इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष के.के. शर्मा, संरक्षक व सलाहकार महाबीर साहू, सोतानाला इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष आशीष मलिक, बहरोड़ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के महासचिव किशनलाल अग्रवाल, गिन्नी इंटरनेशनल से वॉइस प्रेसिडेंट सुधीर तिवारी, गिन्नी के मानव संसाधन प्रबंधक प्रकाश शर्मा, पारले बिस्किट्स मानव संसाधन प्रबंधक मांगेलाल धेतरवाल, टीपीआर मानव संसाधन प्रबंधक कमल धीमन, निहोन पार्करराइजिंग मानव संसाधन प्रबंधक मनीष कौशिक, टोयोडा गोसाई मिंडा जेपी तंवर, रोहिताश शर्मा हीरो मोटकॉर्प, रिचफिल्ड से नावेद सहित कई उद्योगपति एवं उद्योग प्रतिनिधि भी शामिल हैं।