करीब 10 माह पूर्व उच्च शिक्षा विभाग ने अलवर के मत्स्य विश्वविद्यालय के संघटक महाविद्यालय के रूप में राजकीय कला महाविद्यालय का नाम तय किया और इसकी जानकारी भी विश्वविद्यालय को दी गई। अब उच्च शिक्षा विभाग जयपुर ने अलवर के कला महाविद्यालय को संघटक कॉलेज का दर्जा देने से इनकार कर दिया है। इसका कारण उच्च शिक्षा विभाग ने नहीं बताया है जिसे तकनीकी कारण बताया जा रहा है। अलवर के साथ ही सीकर व भरतपुर में शुरू हुए विश्वविद्यालय को संघटक महाविद्यालयों का दर्जा दिए जाने के आदेश को भी वापस ले लिया गया है।
राजस्थान विश्वविद्यालय के हैं कई संघटक कॉलेज जयपुर में स्थित राजस्थान विश्वविद्यालय के संघटक कॉलेज के रूप में महाराजा कॉलेज, महारानी कॉलेज सहित कॉमर्स कॉलेज भी है। इन महाविद्यालय के संघटक कॉलेज के रूप में होने से महाविद्यालयों की छवि भी अच्छी बनती है और विश्वविद्यालय को संसाधन भी मिलते हैं।
यह होगा प्रभाव विश्वविद्यालय के संघटक कॉलेज बनाने से मत्स्य विश्वविद्यालय को फैकल्टी, लाइब्रेरी, प्रयोगशाला के लिए अपने स्तर पर इंतजाम नहीं करना पड़ता। इससे विश्वविद्यालय की साख बढ़ती और शोध कार्यों को बढ़ावा मिलता। अलवर के कला महाविद्यालय के संघटक कॉलेज बनने से विश्वविद्यालय को लाभ मिलता। विश्वविद्यालय के पास स्वयं के फैकल्टी, शिक्षण व शोध कार्य नहीं होने तक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग भी अनुदान नहीं देता। इसके चलते अलवर के मत्स्य विश्वविद्यालय को संघटक कॉलेज के अभाव में अनुदान भी नहीं मिल पाएगा।
पहले भी भेजा था प्रस्ताव राजर्षि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय संघर्ष समिति की ओर से पूर्व में सरकार को कई बार यह प्रस्ताव भेजा गया था कि अलवर के राजकीय कला महाविद्यालय, राजर्षि महाविद्यालय और जीडी कॉलेज को संघटक कॉलेज घोषित किया जाए। संघर्ष समिति के संयोजक रामानंद यादव का कहना है कि इससे मत्स्य विश्वविद्यालय को यूजीसी के नियमानुसार पर्याप्त मात्रा में आधारभूत सुविधाएं मिल सकेंगी। इससे शोध कर्ताओं और विद्यार्थियों को शहर से दूर हल्दीना नहीं जाना पड़ेगा।
यह कहते हैं कुलपति ‘हमने कला महाविद्यालय सहित अलवर के तीनों राजकीय महाविद्यालयों को संघटक कॉलेज के रूप में शामिल करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था। कला महाविद्यालय को संघटक कॉलेज बनाने का मामला भी स्थगित हो गया है। इससे विश्वविद्यालय के विकास कार्यों में रुकावट आएगी।’
– डॉ. भारत सिंह, कुलपति, राजर्षि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय, अलवर। यह कहते हैं आयुक्त ‘प्रदेश की तीनों नए विश्वविद्यालयों से वहां के महाविद्यालयों को संघटक कॉलेज के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव नए सिरे से तैयार किया जाएगा। इस मामले में पूर्व में कला महाविद्यालय को संघटक कॉलेज के रूप में मानने के लिए दिया गया निर्णय तकनीकी कारणो ंसे वापस लिया गया है। ’
आशुतोष एटी पेडणेकर, आयुक्त, कॉलेज शिक्षा, राजस्थान।