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अलवर

यहां सर्दी ने दी दस्तक, शहर में रैन-बसेरों के हाल बेहाल

शहर में नगर परिषद के द्वारा चलाए जा रहे अधिकतर रैन-बसरों में सुविधाओं का पूर्णता अभाव है। मैले रजाई-गद्दे, टूटे शौचालय कर रहे शर्मसार

अलवरDec 05, 2017 / 02:43 pm

Rajiv Goyal

no faclities in rain basera in alwa
मुंशी प्रेमचंद की कहानी पूस की रात जैसा दर्द भरा अहसास अलवर में भी होता है। सोमवार से हाडतोड़ सर्दी वाला पौष मास भी शुरू हो गया। एक नजारा देखें अलवर शहर के रैन बसेरों का-
मैले रजाई-गद्दे, टूटे पड़े शौचालय और दूर तक उठता बदबू का गुबार। तीन दिन पहले जिला विधिक सेवा प्राधिकरण टीम के निरीक्षण के बावजूद शहर के रैन बसेरों के हाल नहीं सुधरे हैं। स्थिति ये है कि रैन बसेरों के हाल से नगर परिषद को तो शर्म नहीं आ रही है, लेकिन यहां ठहरने वाले शर्मसार हैं। उन्हें शौचालयों के दरवाजे टूटे होने के कारण खुले में शौच जाना पड़ रहा है। बाथरूम के गंदा व बदबूदार होने से खुले में नहाना पड़ रहा है। रजाई-गद्दों की बरसों से धुलाई नहीं होने के चलते बदबू में मुंह छिपाना मुश्किल हो रहा है। रैन बसेरों के शर्मसार करने से महिलाओं ने तो यहां रुकना ही छोड़ दिया है। इसके बावजूद नगर परिषद अधिकारियों के कानू पर जूं तक नहीं रेंग रही है। सोमवार को शहर में अचानक सर्दी बढऩे पर पत्रिका ने देर रात कुछ रैन बसेरों का अवलोकन किया तो यहां नारकीय हालत मिले।
नहीं है सफाई कर्मचारी
खदाना मोहल्ला स्थित नगर परिषद के रैन बसेरे में सफाई कर्मचारी के अभाव में गंदगी का आलम था। यहां केवल तीन लोग ठहरे मिले। पूछताछ में रैन बसेरे के गार्ड ने बताया कि ये तीन लोग भी वे हैं, जो रोज यहां सोने आते हैं। सफाई नहीं होने से ज्यादातर रैन बसेरा खाली पड़ा रहता है। यहां पानी का भी अभाव है। मजबूरन ठहरने वालों को पैसे खर्च कर सुलभ शौचालय में जाकर नित्य क्रिया से निवृत्त होना पड़ता है।
टैंकर आता नहीं, खाली पड़ी हैं टंकिया

केड़लगंज स्थित रैन बसेरा वैसे तो काफी अच्छा बना हुआ है। यहां साफ-सफाई भी बेहतर मिली, लेकिन बसेरे में पानी का कोई इंतजाम नहीं था। पूछताछ में पता चला कि यहां पानी के लिए चार टंकियां रखी हैं, लेकिन पानी के अभाव में सभी खाली हैं। नगर परिषद की ओर से टेंकर भी नहीं भेजा जाता। मजबूरन यहां ठहरने वालों को बाहर जाकर नित्यक्रिया से निवृत्त होना पड़ता है।
चार शौचालयों में से तीन खराब

अलवर शहर के रेलवे स्टेशन के समीप स्थित नगर परिषद के स्थायी आश्रय स्थल यानि रैन बसेरे में सोमवार रात करीब 70 गरीब व बेसहारा ठहरे हुए थे, लेकिन इनके लिए यहां सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं था। रैन बसेरे में लगा टीवी सिर्फ शोपीस बना हुआ था। पूछताछ में पता चला कि यह कई माह से खराब है। यहां चार में से तीन शौचालय खराब पड़े थे। महिला शौचालय का दरवाजा टूटा व दीवार पर टिका हुआ था। बसेरे में ठहरने वाले सभी लोगों के लिए सुबह निवृत्त आदि होने के लिए केवल एक ही शौचालय बचा था। इस शौचालय की हालत भी अपनी कहानी खुद कह रही थी। बरसों से इसकी सफाई नहीं हुई थी। जगह-जगह पीक और गंदगी पड़ी थी। दीवारों से चूना झड़ रहा था।
रजाई-गद्दों का इंतजार
रैन बसेरों का अवलोकन करती-करती पत्रिका टीम जब अलवर बस स्टैण्ड के समीप स्थित नगर परिषद के रैन बसेरे पहुंची तो दंग रह गई। यहां नगर परिषद की ओर से बनाया गया रैन बसेरा देखने में किसी ट्यूरिस्ट होटल से कम नही था। इस रैन बसेरा का करीब पांच माह पहले बड़े जोर-शोर से स्वायत्त शासन मंत्री श्रीचंद कृपलानी ने उद्घाटन किया, लेकिन यह रैन-बसेरा आज तक शुरू नहीं हो सका। पूछताछ में पता चला कि रैन बसेरे के लिए रजाई-गद्दें अभी बनने गए है।

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