होली व धुलण्डी के अवसर पर घरों से दूर रहने वाले नौकरीपेशा लोग परिवार के साथ गांव, कस्बे व शहरों में वापस लौटते हैं। जिसके कारण ट्रेनों में मारामारी होना लाजिमी है। पर्व के चलते 120 दिन पहले से ही यात्री ट्रेनों की बुकिंग कराना शुरू कर देते हैं। कुछ तत्काल में भी टिकट बुक कराते हैं। लेकिन इस समय अधिकतर ट्रेनों में बुकिंग पूरी हो चुकी है। तत्काल में टिकट कराने पर सीट मिलने की संभावना नहीं रहती है। जिसके कारण त्योहार के अवसर पर ट्रेनों में आने वाले लोग पहले ही सीट बुक करा लेते हैं।
एक दिन में 8 हजार यात्री अलवर से करते हैं सफर अलवर जंक्शन से रोजाना करीब हजार के आसपास यात्री ट्रेनों के जरिए आते जाते हैं। जिसके कारण ट्रेनों में सामान्य तौर पर ही अधिक भीड़ रहती है। होली जैसे त्योहार के दिनों में यात्रियों की संख्या और अधिक बढ़ जाती है।
होली के साथ दो अवकाश इस बार होली के साथ दो अवकाश और भी हैं। बुधवार व गुरुवार को होली की छुट्टी हैं। इसके अगले एक दिन शुक्रवार का वर्र्किंग डे है। फिर शनिवार व रविवार को दो अवकाश हैं। इस कारण सरकारी कार्यालयों के कर्मचारियों को एक ही अवकाश लेने की जरूरत पड़ेगी। जिसके कारण परिवार के साथ अधिक यात्रियों के आने की संभावना है।