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सोशल मीडिया नहीं...चुनावी रंग जमाने में झंडे- टोपियां आज भी मददगार

locationअलवरPublished: Oct 17, 2023 06:33:34 pm

Submitted by:

Pradeep

लोकसभा चुनाव और या विधानसभा, अलवर में एक ही परिवार चार पीढिय़ों से झंडे और टोपियां बनाने का काम कर रहे हैं।

सोशल मीडिया नहीं...चुनावी रंग जमाने में झंडे- टोपियां आज भी मददगार
सोशल मीडिया नहीं...चुनावी रंग जमाने में झंडे- टोपियां आज भी मददगार
राजनीतिक दल भी दे रहे ऑर्डर

अलवर. राजस्थान में विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के साथ ही पार्टियां अपने अपने स्तर पर चुनाव प्रचार में जुट गई है। सोशल मीडिया के दौर के बाद राजनीतिक दलों के चुनाव प्रचार के तरीके में भले ही बदलाव आया हो, लेकिन चुनावी रंग जमाने के लिए पार्टियों को आज भी झंडे, बैनर, टोपियां ही मददगार हो रही है। यही वजह है कि चुनाव से पहले ही राजनीतिक दलों की ओर से इनकी मांग क जाने लगी है। इससे दुकानों पर चुनाव प्रचार सामग्री दिखाई पडऩे लगी है। सूती, टेरिकोट, ङ्क्षसथेटिक, ऊनी सभी तरह के कपड़ों से तैयार सामग्री की बिक्री शुरू हो गई है। दुकानदारों ने अतिरिक्त स्टॉक कर लिया है।
चार पीढिय़ों से चल रहा है काम: शहर में छाजू ङ्क्षसह की गली निवासी तिलकराज गांधी ने अलवर में सबसे पहले इस काम की शुरूआत की थी। इनके परिवार की चौथी पीढी भी इस काम से जुड़ी हुई है। दुकान की जगह बदलने के बाद भी पार्टियों के नेताओं की पहुंच चुनाव के दौरान दिखाई पड़ती है।
पहले सिलाई कर बनाए जाते थे झंडे अब रेडीमेड बिक रहे : दुकानदार विशाल गांधी ने बताया कि पहले पार्टी के लिए रेडीमेड सामान नहीं आता था, कपड़े लेकर झंडे बनाए जाते थे, झंडे और टोपियां तैयार करवाई जाती थी और बाद में पेंटर इन पर रंग करता था लेकिन अब ज्यादातर सामान मशीनों से तैयार होता है। इससे जरूरतमंद लोगों को सिलाई से रोजगार भी मिलता था। अब रैली व सभाओं से पहले प्रचार सामग्री की खूब बिक्री होती है। इसलिए चुनाव से पहले अतिरिक्त स्टॉक मंगवाया है।
कम हो रही बिक्री, दाम है बढ़े हुए: चुनाव के दौरान निवार्चन आयोग की ओर से पिछले कुछ सालों में खर्चे को लेकर सख्ती बरती जा रही है, इसके चलते अब पार्टियां पहले के मुकाबले कम सामान खरीदती है। अब चुनावी सभा व विशेष राजनीतिक व्यक्ति के आने के दौरान ही ऐसी प्रचार सामग्री की मांग रहती है। प्रचार सामग्री पर महंगाई का असर नजर आने लगा है। इस कारण पिछले सालों के मुकाबले दाम तीन गुना बढ़ गए हैं। पहले पार्टियों के झंडे मात्र एक या डेढ रुपए में मिलते थे लेकिन अब इनकी कीमत चार से पांच रुपए प्रति पीस है।
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