वहीं वास्तविकता यह है कि गत तीन सालों में अलवर जिले में गिनती करा पाने वाले एक भी विकास कार्य लोगों के जहन में नहीं है। महंत चांदनाथ के निधन के चलते अलवर लोकसभा क्षेत्र में आगामी छह माह से कम समय में उप चुनाव होना तय है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव से एेन पहले होने वाले लोकसभा के उप चुनाव से सत्ताधारी भाजपा एवं विपक्ष कांग्रेस की प्रतिष्ठा जुड़ी होने के कारण प्रमुख राजनीतिक दल इसे प्रदेश की चुनावी राजनीति का सेमीफाइनल तक मानने लगे हैं। यही कारण है कि आगामी तीन महीने अलवर जिले में बड़े नेताओं वाले रहने वाले हैं।
तीन साल में कम ही दिखे बड़े चेहरे
गत तीन वर्षों में अलवर में उपलब्धियों में गिनाने लायक न तो कोई योजना फ्लोर पर आ सकी और न ही इस दौरान बड़े नेताओं के दीदार भी ज्यादा नहीं हो पाए। प्रदेश सरकार की मुखिया खुद तीन साल से ज्यादा समय में महज एक बार अलवर आईं। वह भी प्रदेश सरकार के तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के जश्न में।
वहीं प्रमुख केन्द्रीय
मंत्रियों की भी अलवर में कमी खलती रही। केन्द्र सरकार के दो साल का कार्यकाल पूरा होने पर केन्द्रीय मंत्री महेश शर्मा व
मेनका गांधी ही अलवर आईं। वहीं केन्द्र सरकार के तीन साल पूरा होने पर केन्द्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह अलवर आए। तीन साल के कार्यकाल में केन्द्रीय रक्षा मंत्री का बानसूर आने का कार्यक्रम तो बना, लेकिन वे आयोजन में शामिल नहीं हो पाए। इतना ही नहीं कांग्रेस भी बड़े नेताओं के नाम पर
अशोक गहलोत व
सचिन पायलट तक ही सिमटी रही।
तीन महीने में गिनना भी होगा मुश्किल अलवर लोकसभा चुनाव आगामी तीन से चार महीने के बीच होने की उम्मीद है। एेसे में राजनीति भूमि टटोलने से लेकर अपने प्रत्याशियों को जीत का सेहरा बंधाने के लिए प्रमुख राजनीतिक दलों के एक-दो नहीं, बल्कि ढेरों नेताओं के अलवर आने की संभावना है। केन्द्रीय एवं प्रदेश नेताओं के साथ मंत्रियों की भागीदारी भी ज्यादा रहने की उम्मीद है। कारण प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पूर्व दोनों मुख्य दलों के लिए शक्ति प्रदर्शन का अवसर होना।
अलवर के साथ ही
अजमेर लोकसभा क्षेत्र में भी उपचुनाव होना है। दोनों ही सीटें अब तक सत्तारूढ़ भाजपा के पास थी और उपचुनाव में वह इन पर हर हाल में काबिज होने का प्रयास करेगी। वहीं विपक्षी कांग्रेस भी उपचुनाव में अपनी खोई प्रतिष्ठा को पुन: कायम करना चाहेगी। इसलिए दोनों ही दलों के दिग्गजों की नजर इन सीटों पर टिकना स्वभाविक भी है।