किसानों ने 50 प्रतिशत बताया, प्रशासन ने माना अधिकतम 20 फीसद नुकसान
कृषि विभाग व पटवारियों के जरिए हुए सर्वे के बाद बताया कि ओलों से केवल 5 से 20 प्रतिशत ही नुकसान
फसल का बीमा है तो 72 घण्टे में दें बीमा कम्पनी को सूचना

अलवर. जिले में शनिवार को ओलावृष्टि ने फसलों को तबाह कर दिया लेकिन सरकारी मशीनरी सिर्फ 5 से 20 प्रतिशत ही खराबा मान रही है। जबकि किसानों का दावा है कि खेतों में पकने के कगार पर खड़ी फसलों में 50 फीसदी से ज्यादा खराबा है।
राजस्व व कृषि विभाग के कर्मचारियों की रिपोर्ट के अनुसार जिले में कुछेक जगहों पर केवल 5 से 20 प्रतिशत तक ही खराबा हुआ है। इस रिपोर्ट पर सरकार ने अंतिम मुहर लगाई तो जिले में किसानों को मुआवजे के रूप में फूटी कौड़ी भी नहीं मिलेगी। मौजूदा नियमों के अनुसार सरकार 33 प्रतिशत से अधिक खराबा होने पर मुआवजा देती है।
करीब 2 हजार हैक्टेयर में नुकसान
कृषि व राजस्व विभाग के अनुसार ओलावृष्टि से जिले में 1500 से दो हजार हैक्टेयर फसल को नुकसान पहुंचा है। लेकिन, नुकसान 5 से 20 प्रतिशत तक माना गया है।
सरसों में अधिक नुकसान
ठेकड़ा के किसान फकरुद्दीन का कहना है कि हमारे क्षेत्र में करीब 50 से 80 प्रतिशत खेतों में नुकसान हुआ है। चिकानी निवासी विनोद यादव ने बताया कि कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान है। गेहूं की फसल जमीन पर गिर गई है। जिससे फसल पूरी तरह से पकाव पर नहीं आ सकेगी। खेतों में पकी खड़ी सरसों की फसल में अधिक नुकसान है। विभागों के कर्मचारी व अधिकारी पूरे क्षेत्र को आधार पर मानकर नुकसान का प्रतिशत तय करते हैं। जिससे उन किसानों को नुकसान होगा जिनके खेतों में ज्यादा खराबा हुआ है।
सरसों की फसल में नुकसान ज्यादा
कृषि विभाग के सहायक निदेशक पीसी मीणा ने बताया कि ओलावृष्टि से सरसों की फसल में नुकसान ज्यादा है। विभाग ने ओलावृष्टि से नुकसान का प्रारंभिक सर्वे कराया गया है। सर्वे में प्रारंभिक तौर पर जिले में करीब 1500 हेक्टेयर क्षेत्र में फसल में 15 से 20 प्रतिशत नुकसान का अनुमान है। फसल नुकसान की वास्तविक स्थिति का पता फील्ड सर्वे की रिपोर्ट से लग सकेगा।
राजस्व विभाग के सर्वे में भी 5 से 15 फीसदी नुकसान
जिले में हुई ओलावृष्टि का राजस्व विभाग की ओर से सर्वे शुरू किया गया है। फिलहाल कुछ तहसील क्षेत्रों की तैयार रिपोर्ट में फसल खराबा 5 से 15 प्रतिशत तक माना गया है। ओलावृष्टि से कोटकासिम तहसील क्षेत्र के 117 गांवों में से 65 गांवों की फसल प्रभावित हुई है। इनमें गेहंू की फसल में 4 से 15 तथा सरसों में 5 से 15 प्रतिशत खराबा दर्ज किया गया है। वहीं 52 गांवों में कोई खराबा नहीं माना गया है। बानसूर तहसील क्षेत्र 5 गांवों में सरसों में 05 प्रतिशत खराबा माना गया है। तिजारा तहसील क्षेत्र में ओलावृष्टि से कोई नुकसान नहीं बताया गया है। वहीं मालाखेड़ा तहसील क्षेत्र के गूजरबास गांव में गेहंू में 5 व सरसों में 15 प्रतिशत खराबे की आशंका बताई गई है।
फोटो...श्रम राज्य मंत्री ने देखा खराबा
श्रम राज्य मंत्री टीकाराम जूली ने रविवार को ओलावृष्टि से प्रभावित गांवों का दौरा कर फसल खराबे का जायजा लिया।
उन्होंने फसल खराबे का जायजा लेकर उपखण्ड अधिकारी अलवर, तहसीलदार एवं कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि ओलावृष्टि से फसलों को हुए नुकसान का आकलन के लिए गिरदावरी कर शीघ्रतिशीघ्र रिपोर्ट प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि सरकार नियमानुसार किसानों की हर संभव मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस संकट की घड़ी में किसानों के साथ सरकार खड़ी है। उन्होंने ग्राम जटियाणा, कुडूकी, कस्बा डेहरा, टोडियार, नंगली मुंशी, रूंधमांच एवं रूंधनिदानी का भी दौरा किया।
फसल बीमा का लाभ लेने के लिए टोल फ्री नम्बर पर सूचना दें
कृषि विभाग के उप निदेशक ने बताया कि पश्चिमी विक्षोप से मौसम में आए बदलाव से तेज हवाओं के साथ ओलावृष्टि हुई है। जिसके कारण रबी फसल सरसों व गेहूं में नुकसान हआ है। जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू है। जिन किसानो ंने फसल का बीमा करा रखा है। वे ओलावृष्टि के 72 घण्टे में अधिसूचित बीमा कम्पनी एचडीएफसी एग्रो जनरल इश्योरेंस कम्पनी के टोल फ्री नम्बर 18002660700 पर सूचना दें। इसके अ लावा कृषि पर्यवेक्षक को लिखित में नुकसान की सूचना देकर अवगत करा सकते हैं।
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