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प्याज उगाने में 80 हजार रुपए खर्च, बाजार में एक कट्टा मात्र 80 रुपए में बिक रहा, किसान हो रहे परेशान

locationअलवरPublished: Dec 26, 2018 11:25:09 am

Submitted by:

Hiren Joshi

राजस्थान में किसानों को प्याज रुला रहा है। किसानों को एक किलो प्याज के मात्र २ रुपए मिल रहे हैं।

Onion Farmers Facing Loss Due To Less Rate Of onion In Market

प्याज उगाने में 80 हजार रुपए खर्च, बाजार में एक कट्टा मात्र 80 रुपए में बिक रहा, किसान हो रहे परेशान

अलवर. इस साल प्याज के असली आंसू किसानों की आंखों से झलक रहे हैं। अलवर जिले में प्याज की खेती करने वाले 50 हजार परिवारों के सामने यह घाटे का सौदा साबित हो रहा है। खेतों से प्याज निकालकर मंडी तक पहुंचाना ही किसानों के लिए नुकसान वाला सौदा साबित हो रहा है। इस समय प्याज के भाव इतने कम हैं कि किसान को प्रति बीघा जमीन की प्याज बेचने पर 15 हजार रुपए से अधिक का घाटा हो रहा है। प्याज के थोक भाव ढाई रुपए से 6 रुपए तक हैं जबकि किसान के घर में प्याज की लागत ही 10 रुपए प्रति किलो आ रही है। प्याज का एक कट्टा 35 रुपए की कीमत का है जबकि इसे निकलवाने का खर्चा व परिवहन के खर्चें के बाद इसके एक कट्टे की कीमत 125 रुपए से अधिक पड़ रही है। किसानों को मात्र 100 रुपए कट्टा ही मिल रहा है। ऐसे में अलवर जिले में अब किसान परेशानी में खेतों में पकी हुई प्याज की फसल को मंडी तक ले जाने की बजाए उसे वहीं उस पर ट्रैक्टर से हल चलाकर उसे नष्ट कर रहे हैं।
नष्ट कर रहे प्याज

दिल्ली-जयपुर हाइवे पर स्थित गांव चिकानी में किसान पदम सिंह प्याज के भाव कम मिलने से बहुत दुखी हैं। यदि वह अपनी प्याज को मंडी तक ले जाता है तो उसका घाटा और बढ़ जाएगा। ऐसे में इन्होंने अपने दो बीघा के खेत में पकी हुई प्याज की फसल को ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कर दिया है।
इनका कहना है कि इस समय प्याज का एक कट्टा 100 रुपए का बिक रहा है जबकि उसे मंडी तक पहुंचाने के लिए तत्काल ही 125 रुपए लगेंगे। यही नहीं इसके बीज, पानी व खाद का खर्चा अलग है। यदि इसकी उपज की पूरी लागत की बात करें तो एक कट्टे पर करीब 300 रुपए से अधिक का खर्चा आता है। दो बीघा जमीन में ही प्याज का खर्चा 80 हजार रुपए आया है जो इस साल नहीं निकल पाएंगे। बीते साल दो बीघा में ही प्याज की उपज में इन्होंने लाखों रुपए कमाए थे लेकिन इस साल इन्हें घर से देना होगा। इस प्याज की फसल के लिए प्रतिदिन कई घंटे काम कर रहे थे लेकिन सारी मेहनत अब खराब हो गई। इस प्याज को उगाने के लिए साहूकार से मोटा कर्ज ले रखा है। अब नई सरकार से उन्हें कुछ उम्मीद है।
पदम सिंह के बेटे बृजमोहन सिंह का कहना है कि प्याज के कारण हमारा नुकसान तो हुआ ही साथ ही मेहनत भी खराब हुई। वे इस प्याज को बाहर भी नहीं ले जा सकते, क्योंकि प्याज एक साथ नहीं पकती, और जो प्याज पहले पक जाती है वह जल्दी ही खराब हो जाती है। पदम सिंह के भतीजा नवीन प्रताप सिंह का कहना है कि हमारा परिवार प्याज की फसल के लिए रात भर जागकर मेहनत करते थे। इसके लिए पूरा परिवार इसमें जुट गया था। अब इस भाव ने हमको निराश किया है। इसकी परवाह सरकार को भी नहीं है।
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