पिछले साल की तुलना में भाव कम
प्याज के आढ़तियों का कहना है कि अलवर जिले में इस साल किसानों को प्याज की गुणवत्ता कमजोर होने से भारी नुकसान हुआ है। इस साल पिछले साल की तुलना में भाव कम है। जिसका आंकलन करें तो यह नुकसान करीब 500 करोड़ रुपए का है।
प्याज के आढ़तियों का कहना है कि अलवर जिले में इस साल किसानों को प्याज की गुणवत्ता कमजोर होने से भारी नुकसान हुआ है। इस साल पिछले साल की तुलना में भाव कम है। जिसका आंकलन करें तो यह नुकसान करीब 500 करोड़ रुपए का है।
अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है प्याज
प्याज के भाव अच्छे होने पर किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। फल सब्जी मंडी आढ़ती यूनियन के अध्यक्ष देवेन्द्र छाबड़ा कहते हैं कि अलवर की प्याज बेहतर होने पर और इसके भाव अच्छे मिलने पर किसान के घर तक खुशहाली आती है। इस साल किसानों को नुकसान हुआ है।
27 हजार हैक्टेयर में हुई प्याज की बुवाई
इस साल अलवर जिले में 27 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में प्याज की बुवाई हुई है, लेकिन प्याज की गुणवत्ता कमजोर है। प्याज की उत्पादकता 16 टन प्रति हैक्टेयर मानी जाती है। इस हिसाब से अलवर जिले में 3 लाख 55 हजार टन प्याज उत्पादन की संभावना थी। उद्यानिकी विभाग के कृषि अधिकारी शीश मोहम्मद का कहना है कि इस बार अधिक बरसात के कारण प्याज की फसल को नुकसान हुआ है।
अलवर में नमी वाले प्याज की मांग कम
अलवर फल सब्जी मंडी यूनियन के संरक्षक व प्याज के आढती अभय सैनी कहा कहना है कि अलवर जिले में प्याज की गुणवत्ता कमजोर है। इस बार मध्य प्रदेश में स्टॉक का प्याज बहुत निकल रहा है। इसके कारण अलवर में नमी वाले प्याज की मांग कम है। इसके कारण अलवर में किसानों को नुकसान हुआ है, जो करोड़ों में है।
अलवर फल सब्जी मंडी यूनियन के संरक्षक व प्याज के आढती अभय सैनी कहा कहना है कि अलवर जिले में प्याज की गुणवत्ता कमजोर है। इस बार मध्य प्रदेश में स्टॉक का प्याज बहुत निकल रहा है। इसके कारण अलवर में नमी वाले प्याज की मांग कम है। इसके कारण अलवर में किसानों को नुकसान हुआ है, जो करोड़ों में है।