ये सभी गोतस्कर अलवर से बाहर के जिलों व प्रदेशों के थे। ताजा मामला पुलिस मुठभेड़ में मारे गए तालीम का है। तालीम अपने साथियों के साथ गोवंश को गाड़ी में भरकर ले जा रहा था, जिसे पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। तालीम भी अलवर का नहीं था। वह सालाहेड़ी नूह मेवात का रहने वाला था। ये तो चंद उदाहरण है। पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि अलवर में गोतस्करी को अंजाम देने वाले ज्यादातर लोग समीपवर्ती राज्य हरियाणा सहित दूसरे जिलों के हैं। जो अलवर सहित राज्य के अन्य जिलों में जाकर गोतस्करी को अंजाम देते हैं।
गोतस्करी में पहले पायदान पर अलवर प्रदेश में गोतस्करी के मामले में अलवर पहले पायदान पर है। पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो अकेले अलवर में गत तीन सालों में गोतस्करी के लगभग 350 प्रकरण दर्ज हुए हैं, जो कि पूरे प्रदेश का लगभग एक तिहाई है। अलवर के बाद भरतपुर का नम्बर है।
अलवर है प्रवेश व निकास द्वार
अलवर से गोतस्करों से ज्यादातर पाला पडऩे का मुख्य कारण इसका गोतस्करों का एंट्री व निकासी द्वार होना है। ज्यादातर गोतस्कर अलवर व भरतपुर होकर राजस्थान में प्रवेश करते हैं। यहां से गोवंश को उठाने के बाद इनका निकासी का द्वार भी ये दो जिले रहते हैं। ज्यादातर अलवर में प्रवेश करते ही इनकी मुराद पूरी हो जाती है। इसलिए यहां गोतस्करी के मामलों की अधिकता रहती है।
अलवर से गोतस्करों से ज्यादातर पाला पडऩे का मुख्य कारण इसका गोतस्करों का एंट्री व निकासी द्वार होना है। ज्यादातर गोतस्कर अलवर व भरतपुर होकर राजस्थान में प्रवेश करते हैं। यहां से गोवंश को उठाने के बाद इनका निकासी का द्वार भी ये दो जिले रहते हैं। ज्यादातर अलवर में प्रवेश करते ही इनकी मुराद पूरी हो जाती है। इसलिए यहां गोतस्करी के मामलों की अधिकता रहती है।
अलवर में सभी सम्प्रदायों के बीच काफी सौहार्द है। यह पूरे प्रदेश के लिए मिसाल भी है। आमतौर पर गोतस्करी व गोकशी जैसे प्रकरणों में ये लोग शामिल नहीं होते हैं।
राहुल प्रकाश, जिला पुलिस अधीक्षक अलवर।
राहुल प्रकाश, जिला पुलिस अधीक्षक अलवर।
फैक्ट फाइल वर्ष दर्ज प्रकरण गिरफ्तार
2015 140 226 2016 94 116 2017 77 82
(आंकड़े जनवरी से अक्टूबर तक की अवधि के)
2015 140 226 2016 94 116 2017 77 82
(आंकड़े जनवरी से अक्टूबर तक की अवधि के)