परसा का बास में महिला प्रत्याशी ने कहा कि वे पिछले पांच साल सरपंच रही हैं। खुद कतई घूंघट नहीं करती है। वार्ड पंच महिलाओं को भी घूंघट नहीं करने के लिए प्रेरित करती रही हैं। जिसके कारण कई पंच महिलाओं ने हर समय घूंघट करना छोड़ दिया है। यहां गांव में तो ये हाल है ं कि महिला का महिला से भी घूंघट का रिवाज है। यहां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने कहा कि अब पहले से कम घूंघट करने लगे हैं। चुनाव में महिलाओं को
बराबर का अधिकार दिया है। लेकिन, अब भी घूंघट को महिला की लाज के रूप में देखा जाता है लेकिन, अब धीरे-धीरे बदलाव आने लगा है। सामान्य महिलाओं के अलावा चुनाव लड़ रही महिला प्रत्याशी भी घूंघट में नजर आई।