ाहर में ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उडऩा आम बात है। रामगढ़ रोड तो अब जानलेवा हो चुका है। जिन संस्थाओं पर सडक़ नियमों के पालन की जिम्मेदारी है वे वसूली नेटवर्क के अलावा कहीं नजर नहीं आती हैं। इस खतरनाक सडक़ पर न ट्रैफिक पुलिस है और न कब्जे हटाने वाले नगर परिषद-यूआईटी नजर आते हैं। कागजों में ही सडक़ चौड़ी की जा रही है। सबकुछ देखते हुए भी प्रशासन इस खतरनाक रास्ते की ओर आंखें मूंदे बैठा है।
आए दिन हो रहे हादसों में निर्दोष लोगों की जान जा रही है। अगर किसी की जान जा रही है तो क्यों ना जिम्मेदार संस्थाओं पर कानूनी कार्रवाई की जाए। सडक़ पर मानो कब्जे करने की होड़ लगी हुई है। बड़े प्रतिष्ठानों ने दुकानों के बाहर बीस-बीस फीट तक कब्जे कर रखे हैं। वहीं हनुमान सर्किल से आगे दो-तीन किलोमीटर तक खोखे, ठेले, गैराज, वाहन रिपेयरिंग करने वालों ने कब्जे कर रखे हैं। इस कारण सडक़ यहां नजर ही नहीं आती।
अगर प्रशासन सडक़ को चौड़ा नहीं करना चाहता है तो कम से कम इसे कब्जों से तो तत्काल मुक्त किया जाए। यहां एक्सीडेंट रोकने के लिए विशेष दस्ता नियुक्त किया जाना चाहिए। अगर प्रशासन को नागरिकों की जान की जरा सी भी परवाह है तो तत्काल इस सडक़ को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाए। इसके साथ ही इसे चौड़ा करने का कार्य इसी माह शुरू कर दिया जाना चाहिए।