अलवर

पहलू खान मामले में बड़ी खबर, जिसकी खामियों से बरी हुए आरोपी, वो बना चुके हैं निलम्बन का रेकार्ड

Pehlu Khan Case Latest Update : अलवर के बहुचर्चित पहलू खान मॉब लिंचिंग केेस के जांच अधिकारी का रेकार्ड निलम्बनों से भरा हुआ है।

अलवरAug 19, 2019 / 11:27 am

Lubhavan

पहलू खान मामले में बड़ी खबर, जिसकी खामियों से बरी हुए आरोपी, वो बना चुके हैं निलम्बन का रेकार्ड

अलवर. Pehlu Khan Case Latest Update : पहलू खां ( pehlu khan ) की हत्या के मामले में जांच करने वाले अधिकारी व अभियोजन की कई स्तर पर रहीं खामियों के कारण आरोपी बरी हो गए। अदालत ने अपने आदेश में उन सभी खामियों को प्रमुखता से लिखा है। आदेश में सबसे अधिक जिम्मेदार रमेश सिनसिनवार को माना गया है। पुलिस निरीक्षक रमेश सिनसिनवार गोल्डसुख ठगी प्रकरण के दौरान विधायकपुरी थानाधिकारी थे। प्रकरण में भूमिका संदिग्ध होने के मद्देनजर सजा के तौर पर प्रतिनियुक्ति पर जेल भेजा गया था।
इस तरह जेल की प्रतिनियुक्ति पर गोल्डसुख प्रकरण तथा नकली घी रिश्वत प्रकरण में के पुलिसकर्मियों को ही भेजा गया था। जेल से पुलिस विभाग में आने के बाद रमेश अलवर और फिर बनीपार्क थानाधिकारी रहते हुए कुछ माह पहले सेवानिवृत्त हो गए। इसी तरह दूसरे जांच अधिकारी आरपीएस परमाल सिंह ने भी मामले में कई खामियां छोड़ी थीं। अदालत में गलत तथ्य भी पेश किए। घटना की रिकॉर्डिंग करने वाले मोबाइल (हैंडसेट व मैमोरी कार्ड) की एफएसएल जांच के लिए अदालत ने पूछा तो परमाल ने मना कर दिया, जबकि एफएसएल जांच हुई थी, उसकी रिपोर्ट पहले ही अदालत में पेश की जा चुकी थी। ऐसी खामियों के नतीजन अदालत ने गिरफ्तार लोगों पर आरोप साबित नहीं माने व उन्हें संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
पर्चा बयान के 16 घंटे बाद रिपोर्ट दर्ज की

पहलू खां के घायल होकर अस्पताल में भर्ती होने के बाद जांच अधिकारी सिनसिनवार ने उसके बयान लिए थे। पर्चा बयान 1 अप्रेल को रात 11.50 बजे लिए गए लेकिन मामला अगले दिन शाम 3.54 बजे दर्ज किया गया। बयान में बताए आरोपियों के बारे में क्या पड़ताल की, यह अदालत में नहीं बताया गया। पर्चा बयान लेने से पहले सिनसिनवार ने चिकित्सक की राय नहीं ली कि पहलू बयान देने की स्थिति में है या नहीं। बयान लेने के बाद चिकित्सक से प्रमाणित भी नहीं कराया, जबकि यह कानूनी रूप से जरूरी था।
 

– ये खामियां रहीं

मोबाइल बरामद करने की कार्रवाई अधूरी

पहले जांच अधिकारी ने अदालत को बताया कि एक गवाह के मोबाइल से वीडियो अपने मोबाइल में प्राप्त करने के बाद उसकी फोटो तैयार कराई, जिसके आधार पर आरोपियों की पहचान की। अदालत ने माना कि जांच अधिकारी ने अपना मोबाइल जब्त कर अदालत में पेश नहीं किया।
नहीं कराई शिनाख्त

पुलिस ने आरोपियों की शिनाख्त परेड नहीं कराई। जिस मामले में आरोपी पक्ष जानकार नहीं होते, कानूनन उसमें गिरफ्तारी के समय अदालत के समक्ष शिनाख्त परेड काई जाती है। लेकिन पहले सिनसिनवार, दूसरे उपअधीक्षक परमाल सिंह तथा तीसरे जांच अधिकारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गोविंद देथा ने आरोपी की शिनाख्त परेड नहीं कराई।
साक्ष्य जुटाने में लापरवाही

परमाल सिंह ने जो मोबाइल जब्त किया, उसके स्वामित्व सम्बंधी दस्तावेज बरामद नहीं किए।

कोर्ट में झूठ

परमाल सिंह ने अदालत में बताया कि रिकॉर्डिंग वाले मोबाइल की एफएसएल जांच नहीं कराई गई। जबकि फाइल में जांच रिपोर्ट भी सलग्न थी, जिसमें साफ है कि मोबाइल की रिकॉर्डिंग में कोई अनिरंतरता नहीं है। यह रिपोर्ट और जब्त किया मोबाइल व मैमोरी कार्ड अभियोजन पक्ष की ओर अदालत में पेश नहीं किया गया।
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