कच्ची झोपडी मे ंरहने वाली पूजा के पास पढऩे के लिए भी पैसे नहीं थे, अभावों के बीच दूसरों की मदद से अपने सपने को पूरा करने में जुटी रही। पूजा के पिता रमेश नाथ भी गांव गांव जाकर सांप का खेल दिखाते हैं। वो नहीं चालते थे कि पूजा आगे पढे क्योंकि पढऩे के बाद शादी नहीं होती है, लेकिन पूजा की जिद के आगे उन्हें हार माननी पडी, पूजा की मां ब्रह्मा देवी ने दिन रात सिलाई करके बेटी के सपने को पूरा करने के लिए मेहनत की। गांव में पांचवी तक का ही स्कूल है आगे की पढ़ाई के लिए उसे किशनगढ़बास जाना पड़ता है यहां से उसने बीए किया और सीआरपीएफ की तैयारी में जुट गई और पहले ही प्रयास में सफलता मिल गई।
यह इस गांव की पहली बच्ची है जो कि सरकारी सेवा में गई है। इससे पहले आज तक किसी की सरकारी नौकरी नहीं लगी है। चार बहन व दो भाईयों में सबसे बड़ी पूजा का शुरु से ही सपना था कि वह किसी ऐसा करें कि उसके परिवार व गांव का नाम रोशन हो। इसका कहना था कि उसके पढऩे और सरकारी नौकरी में लगने के बाद ढाणी की अन्य बेटियों की भी आगे बढऩे की राह खुल गई। प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य बलराम यादव, पार्षद मनीष लख्याणी सहित अन्य लोगों ने पूजा का गांव पहुंचकर सम्मान किया।