पुलिस अधिकारियों के अनुसार सर्दी में कोहरे के चलते सडक़ पर दृश्यता कम रहती है। एेसे में सडक़ दुघर्टनाओं का अंदेशा बढ़ जाता है। रिफ्लेक्टर जैकेट पर वाहन की रोशनी पडऩे पर यह दूर तक चमकती है। इससे न सिर्फ वाहन चालक को पुलिस की मौजूदगी का अहसास होगा, बल्कि हादसे की आशंका भी कम रहेगी।
545 रिफ्लेटर जैकेट और 3 हजार पुलिसकर्मी जिले में बेशक पुलिसकर्मियों ने रात्रि में ड्यूटी के दौरान हादसे से बचाव के लिए रिफ्लेक्टर जैकेट पहनना शुरू कर दिया है, लेकिन हकीकत ये है कि जिले में तीन हजार पुलिसकर्मियों के बीच केवल 545 रिफ्लेक्टर जैकेट हैं।
हर साल होती हैं करीब 500 मौतें जिले में सडक़ दुघर्टना में हर साल लगभग 500 लोगों की मौत होती हैं। वहीं, लगभग 8०० से 9०० लोग घायल होते हैं। खास बात ये है कि सर्दियों में सडक़ दुघर्टनाओं का ग्राफ बढ़ जाता है। इसका मुख्य कारण सर्दियों में पडऩे वाला कोहरा व धुंध है।
सडक़ों से गायब सफेद पट्टिका सर्दियों में वाहनों के दुघर्टनाग्रस्त होने का एक कारण सडक़ों से सफेद पट्टिकाओं का गायब होना भी है। दरअसल, सर्दियों में कोहरे के दौरान वाहन चालक सफेद पट्टिका के सहारे वाहन चलाते हैं। सडक़ों के मध्य व किनारों पर सफेद पट्टिकाओं के नहीं होने पर इनकी मुसीबतें बढ़ जाती है और वाहन के दुघर्टनाग्रस्त होने का अंदेशा बना रहता है।
पट्टिकाओं के अभाव में कई बार वाहन सडक़ से उतर जाते हैं और जनहानि हो जाती है। नियम ये है कि सर्दियों की शुरुआत से पहले सभी सडक़ मार्गों पर स्थित पट्टिकाओं पर सफेद पेंट होना चाहिए। जहां सफेद पट्टिकाएं मिट गई है अथवा मिट्टी आदि के चलते स्पष्ट नजर नहीं आती। उन पर भी पुन: पेंट होना चाहिए, लेकिन एेसा नहीं होता।
कोहरे के मौसम में दृश्यता न सिर्फ जीवन की रक्षा करती है बल्कि दूसरों के घरों के चिराग को बुझने से बचाती है। पुलिस ही नहीं बल्कि वाहन चालकों को भी रिफ्लेक्टर का महत्व समझते हुए अपने वाहनों पर साफ-सुथरे व अच्छी क्वालिटी के रिफ्लेक्टर लगाने चाहिए।
राहुल प्रकाश, जिला पुलिस अधीक्षक अलवर।