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अलवर की इन सीटों पर बदल गया राजनीतिक माहौल

विधानसभा चुनाव में बना राजनैतिक माहौल लोकसभा चुनाव आते-आते पूरी तरह से बदल गया है। एक सप्ताह में हुई राजनैतिक उठापटक और घटनाक्रम ऐसा हुआ कि आपसी प्रतिद्वंदी भी एक हो गए। अब राजनीतिक दल भी उसी तरह अपने पक्ष में जनता के बीच माहौल बनाने में जुटे हैं।

अलवरMar 30, 2024 / 11:26 am

susheel kumar

अलवर की इन सीटों पर बदल गया राजनीतिक माहौल

विधानसभा चुनाव में बना राजनैतिक माहौल लोकसभा चुनाव आते-आते पूरी तरह से बदल गया है। एक सप्ताह में हुई राजनैतिक उठापटक और घटनाक्रम ऐसा हुआ कि आपसी प्रतिद्वंदी भी एक हो गए। अब राजनीतिक दल भी उसी तरह अपने पक्ष में जनता के बीच माहौल बनाने में जुटे हैं।
बहरोड़ विधानसभा का मुकाबला देखने लायक
बहरोड़ में 3 महीने पहले कांग्रेस प्रत्याशी संजय यादव के खिलाफ चुनाव लड़े तत्कालीन विधायक और जनता सेना प्रमुख बलजीत यादव 2 दिन पहले ही कांग्रेस की सभा में नजर आए। उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव में बलजीत यादव दूसरे तथा संजय यादव तीसरे स्थान पर रहे थे। यदि दोनों के वोट मिला लिए जाए तो विजयी प्रत्याशी विधायक जसवंत यादव से कहीं अधिक होते हैं। ऐसे में बलजीत यादव के कांग्रेस में आने से भाजपा पर यहां दबाव बढ़ा है। पार्टी के नेता अपनी जीत के लिए उसी हिसाब से रणनीति बना रहे हैं। हालांकि विधायक जसवंत यादव यहां के बड़े नेता हैं। साथ ही पूर्व सांसद करण सिंह भी उनके साथ हैं। ऐसे में इस सीट पर दोनों ही दलों के बीच कड़ी टक्कर मानी जा रही है।
ये सीट पाने को भाजपा आतुर
राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ में कांग्रेस प्रत्याशी और वर्तमान विधायक मांगेलाल मीणा के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़े तत्कालीन कांग्रेस विधायक जोहरी लाल मीणा भी कांग्रेस की सभा में नजर आए। मांगेलाल मीणा ने भी जोहरी लाल मीणा को पिता समान बताया। दोनों नेताओं के एक होने से यहां भाजपा के लिए संकट खड़ा हो सकता है। इस सीट पर कई वर्षों से भाजपा अपना कब्जा नहीं कर पा रही है। भाजपा यहां स्थानीय नेताओं को सक्रिय कर रही है। दूसरे तरीके भी निकाले जा रहे हैं।
तिजारा में बदला माहौल
तिजारा में विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने और बाद में लोकसभा चुनाव में भी दावेदारी खारिज होने से नाराज चल रहे कांग्रेस नेता संदीप यादव के पार्टी छोड़ने की अटकलें चल रही थीं। 2 दिन पहले हुई कांग्रेस की सभा में संदीप यादव नजर आए। यहां से कांग्रेस के प्रत्याशी इमरान भी आते हैं। उन्हें भाजपा प्रत्याशी महंत बालक नाथ ने हराया था। इस सीट पर जीत-हार महज 6 हजार वोटों की रही है। ऐसे में कांग्रेस व भाजपा अपने-अपने तरीके से यहां वोटरों को अपने पक्ष में लेने के लिए चाल चल रही हैं। भाजपा के पास स्थानीय नेता मामन सिंह यादव भी हैं। ऐसे में इस सीट पर भी लोकसभा चुनाव में टक्कर कड़ी हो सकती है।

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