अलवर उपचुनाव: यह क्षेत्र रहा है भाजपा का गढ़, लेकिन इस बार है कठिन चुनौती
अलवर लोकसभा उपचुनावों में सभी विधानसभा सीटों पर दोनों पार्टियां तगड़ा दांव लगा रही है। भाजपा को अपना गढ़ बचाने की चिंता है।

अलवर. परिसीमन के बाद बना किशनगढ़बास विधानसभा क्षेत्र वैसे तो भाजपा का गढ़ रहा है, लेकिन लोकसभा उपचुनाव में इस गढ़ को बचाना भाजपा के लिए टेड़ी खीर बना हुआ है। अब जनता नाम नहीं काम चाहती है। उसके सुर भी बदलने लगे हैं। इसी का परिणाम रहा कि लोकसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में ग्राम पंचायत माछरौली के गांव बसई विरथल में सभा करने पहुंचे भाजपा नेताओं को जनता के विरोध के चलते बैरंग लौटना पड़ा था।
अब लोकसभा उपचुनाव के लिए मतदान में केवल तीन दिन बचे हैं। भाजपा जहां जनता की नाराजगी को दूर करने में जुटी हुई है, वहीं कांग्रेस भाजपा के इस अभेद किले में सेंध लगाने के प्रयास में है। खैर जो भी हो, लेकिन इतना तय है कि इस विधानसभा क्षेत्र में दोनों पार्टियों के बीच दिलचस्प मुकाबला होगा।
प्रतिष्ठा की सीट
भाजपा व कांग्र्रेस दोनों के लिए यह सीट प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है। किशनगढ़बास विधानसभा क्षेत्र में शुरुआत से भाजपा का दबदबा रहा है। यहां से भाजपा के रामहेत यादव लगातार दो बार से विधायक हैं। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने यहां से अच्छी खासी बढ़त मिली थी। भाजपा प्रत्याशी डॉ. जसवंत यादव का पैतृक गांव सिलपटा भी इसी विधानसभा क्षेत्र में आता है। ऐसे में भाजपा किसी भी कीमत पर यहां अपने वर्चस्व को खोना नहीं चाहती। उधर, कांग्रेस की भी इस सीट से प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है। पिछले दो विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को इस सीट पर हार मिली। उपचुनाव में वह इसका बदला चुकाने को ललायित है। कांग्रेस की जिला प्रमुख रेखा राजू यादव भी कोटकासिम के गांव पाटन अहीर की बहू हैं। उनके पति का यह पैतृक गांव है। चुनाव में कांग्रेस को बढ़त दिलाने में वे भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगी।
बड़े कस्बों का रुख महत्वपूर्ण
किशनगढ़बास विधानसभा क्षेत्र में खैरथल और किशनगढ़ दोनों बड़े कस्बे हैं। खैरथ्रल में वैश्य, जाटव, सिंधी, पुष्करणा, पंजाबी, सिख, यादव, सैन, जांगिड़ वोटों का गणित है। किशनगढ़ में भी ऐसी ही स्थिति है। दोनों कस्बों में युवाओं में अपनी पार्टी को लेकर जबरदस्त गौरव है। कांग्रेस ने यहां बीडी कल्ला को प्रचार में लगा रखा है। तो बीजेपी में जिला प्रभारी अखिल शुक्ला कमान संभााले हुए हैं। शुक्ला यहां डोर टु डोर सम्पर्क कर रहे हैं। सरकार ने चुनाव से पहले जो काम करवाए हैं उनका असर क्या होगा यह परिणाम बताएगा।
पहले खैरथल विधानसभा में आता था किशनगढ़बास
किशनगढ़बास पहले खैरथल विधानसभा क्षेत्र में आता था। तब यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी। वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद किशनगढ़बास नया विधानसभा क्षेत्र बना। इसमें खैरथल सहित कोटकासिम आदि को शामिल किया गया। वहीं, कुछ ग्राम पंचायतों को किशनगढ़बास से अलग कर अलवर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में जोड़ा गया। विधानसभा क्षेत्र बनने के बाद से अब तक इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है।
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