Rain In Alwar : सामान्यत: अलवर जिले में मानसून के सक्रिय होने का समय 20 जून के बाद माना जाता है, लेकिन इस बार जुलाई माह शुरू होने के बाद भी मानसून सक्रिय होने का इंतजार है। मानसून का सबसे ज्यादा इंतजार किसानों को है। खरीफ की बुवाई का समय है, मानसून यदि देरी से आता है तो बुवाई का समय निकलने की आशंका है। पछेती बारिश का असर फसल उत्पादन पर पड़ सकता है। प्री मानसून की बारिश के चलते किसानों की ओर से आनन-फानन में की गई बुवाई भी बारिश के अभाव में सूखने के कगार पर है।
प्री मानसून में 35.90 एमएम बारिश इस वर्ष जिले में प्री मानसून की बारिश तो हुई, लेकिन जरूरत के मुताबिक नहीं हो सकी। प्री मानसून के दौरान जिले में औसत बारिश 35.90 एमएम दर्ज की गई। इसमें भी जून माह में सबसे ज्यादा बारिश 157 एमएम सोडावास में हुई, वहीं अलवर शहर में 50 एमएम बारिश ही दर्ज हुई।
जिले की मुख्य नदिया भी सूखीं जिले की मुख्य नदी साबी, रूपारेल, लड्वानाला भी पूरी तरह सूखी रही। इन नदियों में एक बंूद पानी नहीं दिखा। जिले के ज्यादातर बांध सूखे सिंचाई विभाग के जिले में 24 बांध है, इनमें से ज्यादातर बांधों में जून में एक बंूद भी पानी नहीं बचा। केवल सिलीसेढ़ झील में 12 फीट 8 इंच व मंगलसर बांध में 7 फीट 8 इंच पानी बचा था। इन बांधों में भी पानी की मात्रा अन्य सालों से कम है। जयसमंद, मानसरोवर, रामपुर, जय सागर, देवती, धमरेड, लक्ष्मणगढ़, बघेरीखुर्द, झिरोली, खानपुर, हरसौरा, जैतपुर, बावरिया, सिलीबेरी, बिगोता, तुसारी, निम्बाहेड़ी, ढकवासन, आमका, सारनखुर्द, बिटौली एवं समर सरोवर बांध जून में पूरी तरह रीते रहे।