नई भर्तियों के लिए यह किया गया प्रावधान
10 फरवरी को प्रदेश सरकार ने बजट जारी किया। सीएम अशोक गहलोत ने कहा था कि प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से कार्यरत संविदा कार्मिकों को शोषण से मुक्त किया जाएगा। ठेके पर संविदा कार्मिक लेने की प्रथा को समाप्त करते हुए रेक्सको की तर्ज पर राजस्थान लॉजिस्टिकल सर्विसेज डिलीवरी कारपोरेशन (आरएलएसडीसी) का गठन किया जाएगा। एक जनवरी से पूर्व के कार्यरत ठेका कर्मियों को नवगठित सरकारी कंपनी के माध्यम से आवश्यकतानुसार सीधे लिया जाएगा। बिना किसी कटौती के पूर्व वेजेज प्राप्त होंगे। बजट पेश करने के बाद यह नियम अप्रैल से लागू होने हैं लेकिन इसका इंतजार जिला परिषद ने नहीं किया और प्राइवेट प्लेसमेंट एजेंसी के चयन के लिए टेंडर निकाल दिया। यह टेंडर नौ मार्च को निकाला गया है। यानी बजट जारी करने के करीब एक माह बाद।
बजट घोषणा के बाद अफसरों ने क्यों नहीं किया इंतजार
जानकारों का कहना है कि सरकार ने जब सरकारी एजेंसी के जरिए संविदा की भर्तियां करने का एलान कर दिया है तो ऐसे में जिला परिषद के अफसरों को एक माह इंतजार करना चाहिए था। इतनी जल्दबाजी करने का अर्थ समझ से परे है। इस पर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं। कुछ लोगों ने शासन स्तर पर भी शिकायत भेजकर मामले की गंभीरता से जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
दौसा जिले के सायपुर पाखर निवासी भगवान सिंह ने स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के संयुक्त निदेशक को पत्र लिखा था। संविदा पर की गई भर्तियों पर सवाल उठाए थे। इस मामले की भी अभी तक जांच चल रही है। जिला परिषद के अधिकारियों से भी जवाब मांगा गया था।
रेखा रानी व्यास, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद