चम्बल का पानी कब पूरा अलवर जिला डार्क जोन में है। पेयजल की समस्या विकराल है। अब खेती को पानी नहीं मिलने से जमीन बंजर हो रही है। एक ही विकल्प है कि चम्बल का पानी अलवर लाया जाए। जिसको लेकर पूर्व में कांग्रेस सरकार ने डीपीआर मंजूर करने की घोषणा की थी। इस बजट में सरकार नए सिरे से चम्बल के पानी को लेकर बजट तय कर डीपीआर तैयार करा कर आगामी बजट से पहले कार्य शुरू करा सकती है। जिससे पूरे अलवर जिले में खुशहाली लौट सकती है। इस समय अलवर जिलेवासियों के लिए पानी से बड़ा कोई मुद्दा नहीं है। गरीब परिवार मजदूरी छोड़ पीने के पानी की जद्दोजहद कर रहा है। मध्यम परिवारों की जेब पर पानी का अतिरिक्त खर्च हो रहा है। अमीर भी पानी जुटाने को समय व पैसा खर्च कर रहे हैं। भरतपुर तक चम्बल का पानी आ चुका है। सरकार चाहे तो आगामी कुछ सालों में अलवर में पानी ला सकती है। वैसे भी अलवर के कई ब्लॉक में पानी 1500 फीट नीचे जा चुका है।
सरकार के पहले बजट में अलवर को बड़ी उम्मीद, क्या पूरी हो पाएंगी उम्मीदें? सरिस्का में बढ़े बाघ, दुनिया में बने अलवर की पहचान राज्य बजट में सरिस्का बाघ परियोजना के लिए इस बार कुछ खास किए जाने की उम्मीद है। कारण है कि गत डेढ़ साल में चार बाघ-बाघिन की मौत के बाद यहां सुरक्षा व बाघ संरक्षण के पुख्ता इंतजाम किए जाने की जरूरत है। इसमें भी सरिस्का में बसे गांवों का विस्थापन, सरिस्का को शिकारियों से मुक्त बनाने, वाहनों के प्रदूषण से मुक्ति दिलाने एवं पर्यटकों के लिए मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने लिए विशेष उपाय किए जाने की उम्मीद है। सरिस्का की सबसे बड़ी जरूरत सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की है। इसके लिए स्टाफ बढ़ाने की जरूरत है। वहीं मध्यप्रदेश या अन्य स्थानों से बाघों का पुनर्वास जरूरी है। अलवर जिले का प्रमुख पर्यटक स्थल होने के कारण यहां दिल्ली व जयपुर सहित अन्य बड़े शहरों के पर्यटकों की पहुंच बढ़ सके, इसके लिए सरकार की ओर से बजट में विशेष घोषणा की उम्मीद है।