मेडिकल कॉलेज की मिले सौगात जिले में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। करीब 45 लाख आबादी वाले अलवर जिले में चिकित्सा की सुपर स्पेशलिटी सुविधाएं नहीं होने के कारण गंभीर मरीजों को दिल्ली और जयपुर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। चिकित्सा सेवाओं में विस्तार के लिए कांग्रेस सरकार ने पिछले कार्यकाल में अलवर जिले में ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज की घोषणा की। इसके लिए एमआईए में 800 करोड़ रुपए की लागत से आलीशान बिल्डिंग तैयार की गई, लेकिन यहां सिर्फ 50 बैड का ईएसआईसी अस्पताल ही शुरू हो सका है। वहीं, पूर्व भाजपा सरकार ने भी अलवर केन्द्रीय कारागार की जमीन पर मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की थी, लेकिन पूरी नहीं हो सकी। अलवर में दो मेडिकल कॉलेज की घोषणा हुई, लेकिन एक भी नहीं खुल पाया है। राज्य सरकार के इस बजट में जिले को मेडिकल कॉलेज की घोषणा होने की उम्मीद है।
मत्स्य विश्वविद्यालय को पूरा पैसा मिले तो बने भवन इस बार राज्य के बजट से अलवर वासियों को उम्मीद है कि मत्स्य विश्वविद्यालय के हल्दीना में बनने रहे भवन को पूरा बजट मिले, जिससे भवन का काम पूरा हो सके। इस भवन के लिए मात्र अब तक साढ़े छह करोड़ रुपए ही मिले हैं।
कॉमर्स कॉलेज के भवन के लिए बुध विहार में जमीन आवंटित की गई है लेकिन इसका निर्माण कार्य शुरु नहीं हुआ है। उम्मीद है कि इस बजट में इस भवन को बनाने के लिए पैसा जरूर मिलेगा।
जिले में बेटियों के लिए एक और राजकीय महाविद्यालय स्थापित होना चाहिए जिससे बेटियो को कॉलेज में प्रवेश लेते समय राहत मिल सके।
मिनी सचिवालय का निर्माण हो पूरा अलवर जिला प्रदेश का दूसरा बड़ा जिला होने और यहां 14 ब्लॉक होने के कारण प्रशासनिक व्यवस्था को और सुदृढ़ करने की जरूरत है। राज्य सरकार की ओर से पुलिस स्तर पर जिले में दो पुलिस अधीक्षक की नियुक्ति की तर्ज पर प्रशासनिक व्यवस्था में बदलाव जरूरी है। सबसे ज्यादा जरूरत भिवाड़ी, बहरोड, नीमराणा क्षेत्र के लिए अलग से वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी की नियुक्ति की है। इसका मुख्यालय इन क्षेत्रों में किसी भी स्थान पर किया जा सकता है।
फिलहाल इन स्थानों पर उपखंड अधिकारी ही प्रशासनिक व्यवस्था को संभाल रहे हैं। वहीं देश का बड़ा औद्योगिक क्षेत्र होने के बावजूद यहां कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं बैठते। यहां यूआईटी सचिव की नियुक्ति तो है, लेकिन उन्हें प्रशासनिक अधिकार नहीं होने से उद्यमियों को छोटे से कार्य के लिए अलवर व जयपुर के चक्कर लगाने पड़ते हैं। बजट में जिला मुख्यालय पर मिनी सचिवालय के लंबित निर्माण को गति देने के लिए अतिरिक्त राशि का प्रावधान किए जाने की उम्मीद है। अलवर में मिनी सचिवालय का निर्माण कार्य कई साल से चल रहा है, लेकिन कभी राशि के अभाव में और कभी अन्य कारणों से निर्माण कार्य बाधित होता रहा है।