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राजस्थान का रण : इस विधानसभा चुनावों में छात्राओं के हैं अलग मुद्दे, जानिए क्या कहती हैं अलवर की छात्राएं

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अलवरOct 29, 2018 / 11:36 am

Hiren Joshi

राजस्थान का रण : इस विधानसभा चुनावों में छात्राओं के हैं अलग मुद्दे, जानिए क्या कहती हैं अलवर की छात्राएं

जिले में अच्छे कॉलेज हों, उच्च शिक्षण के लिए विश्वविद्यालय में सुविधाएं बढ़ें, गांवों और शहरों का विकास हो, युवाओं को रोजगार के अवसर बढ़े, जरूरतमंद को इलाज की सुविधा मिले। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को स्वच्छ पानी उपलब्ध हो, ये विचार किसी दार्शनिक के नहीं बल्कि 21 सदी के युवाओं के हैं। इन युवाओं का मानना है कि राजनीति में हावी होते जातिवाद ने देश स समाज को विकास में काफी पीछे धकेल दिया है। देश के भविष्य का मानना है कि उन्हें जातिवाद नहीं, बल्कि विकास चाहिए। जाति आधारित नहीं विकास की सोच रखने वाले प्रत्याशी चाहिए।
राजनीति में जातिवाद के बढ़ते प्रभाव से युवा व कॉलेज, स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थी व्यथित हैं। इन युवाओं की सोच है कि देश में जातिवाद को बढ़ावा देने से राजनीतिक दल भी अछूते नहीं हैं। इन युवाओं का कहना है कि राजनीति की पहली सीढ़ी ही जब जातिवाद की सोच से शुरू होगी तो उसके दुष्परिणाम ही सामने आएंगे। जातिवाद को वर्तमान में देश की सबसे बड़ी समस्या बताते हुए युवा कहते हैं लोकतंत्र में सभी को समान अधिकार दिए गए हैं, फिर राजनीति में टिकट का आधार जातिवाद होना गलत है। राजनीतिक तौर पर सभी को समानता का अधिकार दिलाने के उद्देश्य से ही भारत के संविधान में बकायदा जनसंख्या के आधार पर कुछ सीटों को आरक्षित किया गया है। इन आरक्षित सीटों पर ही राजनीतिक दलों को आरक्षित वर्ग विशेष को टिकट देना चाहिए, न कि सभी सीटों पर प्रत्याशी तय करते समय जाति को देखना चाहिए। इससे भविष्य में देश का विकास अवरुद्ध होने की आशंका है।
चुनाव में राजनीतिक दलों को जाति के आधार पर प्रत्याशी उतारने के बजाय ऐसे व्यक्ति को उम्मीदवार बनाना चाहिए, जो कि जिले की युवाओं के लिए अच्छे कॉलेज, अध्ययन की उच्च तकनीक व छात्रों की समस्याओं का समाधान करा सके। मैं जातिवाद के आधार पर वोट नहीं दूंगी।
अंकिता कुमारी, गोपीपुरा मुण्डावर, प्रथम वर्ष स्नातक कला, जीडी कॉलेज अलवर
राजनीति में जहां देखो वहां जातिवाद दिखता है, राजनीतिक दल भी जाति के आधार पर टिकट देते हैं और लोग भी जाति देखकर वोट देते हैं। इससे अच्छे व्यक्तियों को चुनाव लडऩे का अवसर ही नहीं मिल पाता और काम करने वाले लोग पीछे रह जाते हैं। इसी का नतीजा है कि राजनीति में गलत लोग आगे आ रहे हैं।
आरती गौतम, जाटोली अकबरपुर, प्रथम वर्ष स्नातक कला, जीडी कॉलेज अलवर
राजनीतिक दलों को ऐसे प्रत्याशी उतारने चाहिए जो कि देश व समाज के लिए कुछ करने की सोच रखें। कॉलेज व स्कूलों का निर्माण कराएं। परिवहन की सुविधा बढ़वाए। युवाओं की परेशानी दूर करे। ऐसे लोगों को टिकट नहीं दे जो कि जाति में ही जीत देखते हों।
निशा यादव, गदनोली, किशनगढ़बास प्रथम वर्ष स्नातक कला, जीडी कॉलेज
राजनीति में जातिवाद को बढ़ावा देने से देश पिछड रहा है। आज देश में गरीबी व विकास में पिछड़ेपन का भी कारण भी जातिवाद को बढ़ावा देना ही है। अब हम चुनाव में उसी को वोट देंगे जो युवाओं के लिए कुछ कर सके। युवाओं की पढ़ाई के लिए नए साधन मुहैया करा सके।
मीनाक्षी सोलंकी, मालाखेड़ा, प्रथम वर्ष स्नातक कला, जीडी कॉलेज अलवर
राजनीति में जातिवाद का अंत करने और अच्छे प्रत्याशियों को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी युवाओं की है। युवाओं को विकास की सोच रखने वाले प्रत्याशियों की पहचान कर उन्हें आगे बढ़ाना होगा। तभी राजनीतिक दल जाति को महत्व देना छोड़ेंगे।
निधि शर्मा, भिवाड़ी, बीएससी द्वितीय वर्ष राजर्षि कॉलेज अलवर
देश में अच्छे लोगों को आगे लाना है तो राजनीति में जातिवाद को खत्म करना जरूरी है। विकास कराने वाले लोग आगे आएंगे तभी देश विकास की राह पर चलकर विकसित देशों की श्रेणी में शामिल हो सकेगा। इसके लिए पहल राजनीतिक दलों को प्रत्याशी चयन के दौरान ही जाति के बजाय अच्छे लोगों की परख से करनी होगी।
मदनलाल कुमावत, विजयपुरा, थानागाजी बीएससी द्वितीय वर्ष राजर्षि कॉलेज अलवर
स्वच्छ राजनीति की शुरुआत युवाओं को ही करनी होगी। युवाओं को जाति के आधार पर उतरे प्रत्याशियों का समर्थन करने के बजाय उन्हें निरुत्साहित करना होगा। जब जाति के आधार पर उतारा प्रत्याशी जीतेगा नहीं तो राजनीतिक दल भी आगे से अच्छे लोगों को चुनाव में उतारने को मजबूर हो जाएंगे।
नेहा कुमारी, गोपालगढ़, भरतपुर बीएससी द्वितीय वर्ष राजर्षि कॉलेज अलवर
युवाओं को जातिवाद नहीं, विकास की सोच रखने वाले राजनीतिक दल व प्रत्याशी चाहिए। 21 सदीं में देश चांद पर अपना मानव भेजने की योजना का दावा कर रहा है, वहीं हमारे राजनीतिक दल आज भी जाति के मोह में फंस जीत हार का गणित देख रहे हैं। ऐसे राजनीतिक दलों के लोगों को अपनी सोच बदलनी होगी।
रितु कुमारी, भिवाड़ी, बीएससी द्वितीय वर्ष राजर्षि कॉलेज अलवर
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