कद्दावर नेता थे घासीराम यादव मृतक महेन्द्र यादव के पिता घासीराम यादव प्रदेश की राजनीति के कद्दावर नेता थे। वे छह बार विधायक और एक बार सांसद चुने गए।
नायब तहसीलदार की नौकरी छोड़ 1952 के चुनाव में मुण्डावर विधानसभा क्षेत्र से निर्विरोध चुनाव जीते। मुण्डावर के भुनगड़ा अहीर निवासी घासीराम यादव 1957 में भी मुण्डावर से जीत दर्ज की। फिर 1962 में उनको मुण्डावर की बजाय बहरोड़ विधानसभा से टिकट दिया। वहां भी जीत गए। लगातार तीन बार विधायक चुने गए। 1967 के चुनाव ेमें वे बहरोड़ में अमीलाल से हार गए। इसके बाद वापस 1972 में बहरोड़ से जीत गए। 1977 में वापस मुण्डावर से चुनाव लड़ा। हार गए। फिर 1980 में मुण्डावर से विधायक बन गए। 1985 में उनका टिकट कट गया। जबकि उस समय वे मंत्री थे। लेकिन 1990 में वापस विधायक चुने गए। इसके बाद 1993 में भी विधायक बने। आखिरी बार 1997 में वे सांसद का चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे। इस तरह छह बार विधायक व एक बार सांसद चुने गए।
नायब तहसीलदार की नौकरी छोड़ 1952 के चुनाव में मुण्डावर विधानसभा क्षेत्र से निर्विरोध चुनाव जीते। मुण्डावर के भुनगड़ा अहीर निवासी घासीराम यादव 1957 में भी मुण्डावर से जीत दर्ज की। फिर 1962 में उनको मुण्डावर की बजाय बहरोड़ विधानसभा से टिकट दिया। वहां भी जीत गए। लगातार तीन बार विधायक चुने गए। 1967 के चुनाव ेमें वे बहरोड़ में अमीलाल से हार गए। इसके बाद वापस 1972 में बहरोड़ से जीत गए। 1977 में वापस मुण्डावर से चुनाव लड़ा। हार गए। फिर 1980 में मुण्डावर से विधायक बन गए। 1985 में उनका टिकट कट गया। जबकि उस समय वे मंत्री थे। लेकिन 1990 में वापस विधायक चुने गए। इसके बाद 1993 में भी विधायक बने। आखिरी बार 1997 में वे सांसद का चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे। इस तरह छह बार विधायक व एक बार सांसद चुने गए।
अब उनके पुत्र महेन्द्र यादव का शव मिला है, कॉलोनी वासियों के अनुसार महेन्द्र रात को शराब पीकर दुकान के प्लेटफॉर्म पर सो रहे थे, प्लेटफॉर्म करीब 5 फुट ऊंचा था, वहीं से गिरने पर उनके सिर में चोट लग गई, जिससे उनकी मौत हो गई।