साइक्लोन सैल ने ठगों के फेसबुक अकाउंट, मोबाइल नम्बर और बैंक खातों का डेटा निकालकर खंगालना शुरू किया। इसके बाद सीआईयू और अरावली विहार थाने की टीम ने बैंक खातों और सीसीटीवी फुटेज देखे। इसके बाद पुलिस टीम एक-एक कदम आगे बढ़ते हुए ठगी में शामिल मोबाइल सेवा सर्विस प्रदाता कम्पनी के कर्मचारी, बैंक खाताधारक और नाइजीरियनों तक पहुंची और 12 दिन की कड़ी मेहनत के बाद 22 अगस्त को पुलिस ने वारदात का खुलासा कर दिया।
एक पासपोर्ट नहीं अलवर पुलिस अधीक्षक परिस देशमुख ने बताया कि ठगी के मामले में गिरफ्तार नाइजीरियन लकी के पास पासपोर्ट नहीं मिला है। पूछताछ में उसने बताया कि उसका पासपोर्ट खो गया है। इसके बारे में एम्बेसी को लिखा गया है।
पांच जेसी, तीन रिमांड पर अरावली विहार थानाधिकारी हरिसिंह ने बताया कि ठगी के सभी 8 आरोपियों को शुक्रवार को अवकाशकालीन मजिस्ट्रेट नीमराणा के समक्ष पेश किया। जहां से राधामोनी उर्फ वसुंधरा, मोहित कुशवाहा, अनूप पांडे, योगेन्द्र कुमार को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। जबकि मोहित टोकस उर्फ करण राणा, नाइजीरियन एचोनम जैम्स डेस्टीनी और लकी को पुलिस रिमांड पर सौंपा गया है।