शनिवार को सरकारी स्कूल शीत कालीन अवकाश के बाद खुले, जिससे कई दिनों बार स्कूलों में रौनक लौटी। राज्य में तीन जनवरी से सभी शिक्षण संस्थाएं बंद करने की चर्चा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई बैठक में हुई है जिस पर अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए कई राज्यों में शिक्षण संस्थाओं को बंद किया है। इसी प्रकार राजस्थान में कोरोना संक्रमण बढऩे से शिक्षण संस्थाओं को बंद किया जा सकता है। इसको लेकर शिक्षण संस्थाओं के कारोबार से जुड़े लोग बहुत चिंतित हैं।
अभी तक पटरी पर नहीं आए- कोरोना के पहले और दूसरे दौर में डेढ़ साल तक स्कूल बंद रहे। इससे अलवर जिले के करीब 500 कोचिंग सेंटर, हजारों प्राइवेट स्कूलों और सहित अन्य शिक्षण संस्थाओं में जुड़े हजारों लोगों का रोजगार चौपट हो गया। अलवर जिले में दो दर्जन छोटे प्राइवेट स्कूलों में हमेशा के लिए ही ताले लग गए, जबकि अधिकतर ने स्टाफ कम कर दिया। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बीच अलवर जिले में शिक्षा कारोबार से जुड़े कई हजार लोगों का रोजगार छिन गया। प्राइवेट स्कूलों में अभी तक पुरानी फीस नहीं आई है। अब कोरोना संक्रमण बढऩे से दोबारा शिक्षण संस्थाओं पर बंद होने की तलवार लटक गई है। इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े कई हजार लोगों का रोजगार छिन सकता है।
बंद किया तो किसानों की तरह आर-पार की लड़ाई- स्कूल शिक्षा परिवार के प्रदेशाध्यक्ष अनिल शर्मा ने बताया कि कोरोना से डर कर सरकार स्कूल बंद करने की तैयारी कर रही है। अब हम इसका किसानों की तरह सडक़ों पर आकर विरोध करेंगे। सौलह देशों में तो लॉक डाउन के दौरान शिक्षण संस्थाएं ही बंद नहीं हुई, जिसके बाद भी वहां बच्चों का कोई अहित नहीं हुआ था। यह सच है कि कोरोना में हमें अधिक सावधानी की आवश्यकता है, लेकिन जब चाहों स्कूल ही बंद करना इस समस्या का उपाय नहीं है। पूरे प्रदेश में लाखों लोगों का रोजगार स्कूलों से जुड़ा हुआ है।
अलवर जिले में स्कूल- सरकारी स्कूल- 2 हजार 836 प्राइवेट स्कूल- 2 हजार 336 अलवर जिले में कुल कक्षा 1 से 12 वीं कक्षा तक के विद्यार्थी- 13 लाख 56 हजार