30 साल बाद आया ऐसा मौका, एक साथ होगी मंदिर में पूजा और मस्जिद में इबादत
इस साल ऐसा मौका आया है, जब रमजान व पुरषोतम मास दोनों एक साथ आए हैं।

इस माह में मंदिरों में आरती और मस्जिद में इबादत दोनों एक साथ होंगे। आने वाले एक माह तक अलवर शहर में धर्म की गंगा बहेगी। इस दौरान मंदिरों में भजन, कीर्तन, सत्संग, भागवत कथा सहित अन्य आयोजन होंगे और मस्जिदों में रोजे की नमाज होगी। खुदा की इबादत में दिन व्यतीत किया जाएगा।
13 जून तक मांगलिक कार्यों पर रोक
हिंदू पचांग के अनुसार इस बार 16 मई से पुरुषोत्तम मास शुरू हो रहा है, जो कि 13 जून तक रहेगा। जिस मास में सूर्य संक्रांति नहीं होती है उसे अधिमास, लौंद का महीना व पुरुषोत्तम मास कहते हैं। इस बार ज्येष्ठ मास में पुरुषोत्तम मास शुरु हो रहा है। आम बोलचाल की भाषा में इसे लौंद का महीना कहा जाता है। महताब सिंह का नौहरा निवासी पंडित यज्ञदत्त शर्मा ने बताया इस मास में व्रत, उपवास, जप, पूजा पाठ, दान आदि का विशेष महत्व रहता है। लौंद के महीने में शादी विवाह सहित अन्य शुभ व मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है।
रमजान माह की होगी शुरुआत
मुस्लिम समाज का सबसे पवित्र माना जाने वाला रमजानुल मुबारक का महीना भी इसी सप्ताह से शुरू होगा। इस पूरे महीने में मस्जिदों में विशेष नमाज होती है, जरुरतमंदों को दान किया जाता है। रोड नंबर दो पर मेव बोर्डिंग के इमाम मौलाना मोहम्मद अनस ने बताया कि रमजानुल मुबारक का महीना अगर 16 मई को चांद नजर आता है तो 17 मई को पहला रोजा रहेगा। 16 मई को ही तरावीह की विशेष नमाज शुरु हो जाएगी। उन्होंने बताया कि रमजान का रोजा इंसान की बुराइयों को खत्म कर देता है।
शबे कद्र की रात होती है खास
इस माह में शबे कद्र की रात विशेष महत्व रखती है। ये रात अंतिम दस दिनों में आती हैं। यह रात 21,23,25,27, व 29 वे रमजान की रात होती है। इसके साथ ही इस माह में आने वाला जुमा भी विशेष होता है। प्रत्येक जुमा पर मस्जिदों में विशेष भीड़ रहती है।
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