अलवर

रामगढ़ से विधायक चुनी गई सफिया खान, रामगढ़ चुनाव का राजनीतिक सफर, जानिए कौन बना था पहला विधायक

रामगढ़ विधानसभा सीट पर साफिया खान जीती है। रामगढ़ विधानसभा सीट का इतिहास जानिए

अलवरFeb 01, 2019 / 03:46 pm

Hiren Joshi

रामगढ़ से विधायक चुनी गई सफिया खान, रामगढ़ चुनाव का राजनीतिक सफर, जानिए कौन बना था पहला विधायक

अलवर. रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में सरदार दुर्लभ सिंह 1952 में पहले विधायक चुने गए। जिले में 1952 से 1971 तक विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ होते रहे। पहले चुनाव में लोकसभा व सभी 9 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को जीत मिली। भारत विभाजन के बाद अलवर, भरतपुर, अजमेर में पुरुषार्थी आए, इनमें अलवर आने वाले पुरुषार्थियों की संख्या सबसे ज्यादा रही।
यही कारण था कि सरदार दुर्लभ सिंह को कांग्रेस ने रामगढ़ से प्रत्याशी बनाया। उस समय रामगढ़ क्षेत्र में बहादरपुर, चिकानी, ग्राम रायका, तूलेडा भी शामिल थे।
1972 में कांग्रेस ने सीपीआई को दी अलवर सीट

1972 में दो बातें उल्लेखनीय हुई, इनमें पहली राजस्थान के मुख्यमंत्री बरकतुल्ला जोधपुर से तिजारा आकर विधायक चुने गए और मुख्यमंत्री बने। दूसरी राजस्थान में कांग्रेस ने 5 सीटें सीपीआई को समझौते में दी। इस कारण अलवर क्षेत्र से रामानंद अग्रवाल सीपीआई कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े और जीते।
1957 में रामगढ़ में पहली बार बहुकोणीय मुकाबला

वर्ष 1957 में कांग्रेस की गंगादेवी डाटा (7064 मत), सीपीआई से हारूमल तोलानी (5644 मत) एवं निर्दलीय कल्लू मेव व रघुवीर सिंह के बीच टक्कर रही। इसमें गंगादेवी डाटा विजयी रही। सन 1962 में कांग्रेस ने एडवोकेट उमा माथुर को प्रत्याशी बनाया। उमा माथुर 551 मतों से सीपीआई के हारूमल तोलानी से जीत गई। तीसरे नम्बर पर निर्दलीय प्रत्याशी मोहम्मद इब्राहिम रहे। उल्लेखनीय है कि मोहम्मद इब्राहिम रामगढ़ से हार के बाबजूद 1962 में ही कांमा से विधायक निर्वाचित हो गए। वहीं 1952 के विधायक रहे सरदार दुर्लभ सिंह स्वतंत्र पार्टी से चुनाव लड़े, लेकिन चौथे नम्बर पर रहे।
1967 में विधानसभा क्षेत्र का पुन: निर्धारण हुआ

1967 में विधानसभा क्षेत्रों का पुन: निर्धारण हुआ, जिसमें रामगढ़ कस्बा, अलाबड़ा, बहाला से बाम्बोली, बडोदामेव, जालूकी होते हुए लक्ष्मनगढ, मौजपुर, मालाखेड़ा, बुर्जा तक रामगढ़ लक्ष्मनगढ क्षेत्र विधानसभा बनाया गया। कांग्रेस ने रामगढ़ से बाबू शोभाराम को प्रत्याशी बनाया, जो कि विजयी रहे। शोभाराम को राज्य मंत्रिमण्डल में राजस्व सहकारिता वित्त मंत्री रहे। शोभाराम 1972 में भी रामगढ़ से कांग्रेस विधायक चुने गए।
बसपा ने भी बनाया स्थान

रामगढ़ में कांग्रेस बनाम भाजपा के बीच चुनावी मुकाबले में बसपा ने भी तीसरी पार्टी के रूप में तीन बार चुनाव लडकऱ अपना स्थान बनाया। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में भी रामगढ़ में कांगे्रस व भाजपा के साथ बसपा भी मैदान में है।
हरिशंकर गोयल भी लड़े रामगढ़ से

आपातकाल के बाद वर्ष 1977 में रामगढ़ क्षेत्र से जनता पार्टी ने हरिशंकर गोयल को टिकट दिया। हालांकि उनका टिकट कटवाने के लिए प्रयास भी हुए। चुनाव में कांग्रेस के जयकृष्ण शर्मा से हरिशंकर गोयल हार गए।

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