कांग्रेस का मनोबल क्यों बढ़ा? लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की एकजुटता के लिए यह जीत जरूरी मानी जा रही थी। चूंकि माना जा रहा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। ऐसे में रामगढ़ की जीत उनके लिए भी जरूरी थी। रामगढ़ में कांग्र्रेस को नुकसान होने की स्थिति में पार्टी की अंदरूनी राजनीति में लोकसभा चुनाव में कई रोड़े आ सकते थे।
बीजेपी के लिए चिंता क्यों? पार्टी के टिकट वितरण पर सवाल उठेगा? रामगढ़ के पड़ौसी भरतपुर जिले में पहले ही भाजपा का पूरा सफाया हो चुका है। रामगढ़ विधानसभा से लगते अलवर ग्रामीण, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ और निकट पट्टी में किशनगढ़ बास और तिजारा में भाजपा पहले ही हार चुकी है। ऐसे में चिंता बढऩा स्वाभाविक है।
बसपा के लिए चिंता की बात जिले में दो सीटें जीतने के बाद रामगढ़ सीट को लेकर बसपा में भारी उत्साह था। इसी माहौल को देखते हुए पूर्व भाजपा विधायक जगतसिंह ने बसपा से ताल ठोकी। नतीजे बता रहे हैं कि परम्परागत वोट बैंक बसपा की तरफ आकर्षित कम हुए हैं। अब लोकसभा चुनाव को लेकर बसपा के लिए यह परिणाम चिंता बढ़ाने वाला होगा।