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रामगढ़ चुनाव परिणाम से कांग्रेस का मनोबल बढ़ा, भाजपा में बढ़ी चिंता, जानिए क्यों?

locationअलवरPublished: Feb 01, 2019 10:43:28 am

Submitted by:

Hiren Joshi

अलवर के रामगढ़ में हुए लोकसभा चुनाव में जीत से कांग्रेस का मनोबल बढ़ेगा वहीं भाजपा खेमे में चिंता बढ़ेगी।

Ramgarh Election Result Will Help Congress In Lok Sabha Election 2019

रामगढ़ चुनाव परिणाम से कांग्रेस का मनोबल बढ़ा, भाजपा में बढ़ी चिंता, जानिए क्यों?

रामगढ़ विधानसभा चुनाव के नतीजे जितने राज्य विधानसभा चुनाव के लिए महत्वपूर्ण हैं उतने ही आगामी लोकसभा चुनाव का संदेश इनमें छुपा हुआ है। ढाई-तीन माह बाद होने जो रहे लोकसभा चुनाव के लिहाज से नतीजों का विश्लेषण करें तो भाजपा के लिए आंकड़े चिंता जताने वाले हैं। कांगे्रस के लिए नतीजा मनोबल बढ़ाने वाला है। इस सीट पर कब्जा करने के साथ ही अलवर लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभाओं में से अब तीन पर कांग्रेस का कब्जा हो गया है। जबकि दो सीट भाजपा, दो बसपा और एक निर्दलीय के पास है। जिले ही नहीं बल्कि पूरे राज्य में रामगढ़ में हिंदुत्व को लेकर भाजपा शुरू से ही मुखर रही है। यहां न केवल चुनावों में बल्कि साल भर गो-तस्करी और इससे जुड़े कई विषय चर्चित रहते हैं। पिछले ढाई दशक से ज्ञानदेव आहूजा और जुबेर खान के चुनावी मुकाबले भी राज्य भर में चर्चित रहे हैं। इस चुनाव परिणाम से कांग्रेस का मनोबल बढ़ा है तो भाजपा की चिंता बढ़ी है।
कांग्रेस का मनोबल क्यों बढ़ा?

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की एकजुटता के लिए यह जीत जरूरी मानी जा रही थी। चूंकि माना जा रहा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। ऐसे में रामगढ़ की जीत उनके लिए भी जरूरी थी। रामगढ़ में कांग्र्रेस को नुकसान होने की स्थिति में पार्टी की अंदरूनी राजनीति में लोकसभा चुनाव में कई रोड़े आ सकते थे।
बीजेपी के लिए चिंता क्यों?

पार्टी के टिकट वितरण पर सवाल उठेगा? रामगढ़ के पड़ौसी भरतपुर जिले में पहले ही भाजपा का पूरा सफाया हो चुका है। रामगढ़ विधानसभा से लगते अलवर ग्रामीण, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ और निकट पट्टी में किशनगढ़ बास और तिजारा में भाजपा पहले ही हार चुकी है। ऐसे में चिंता बढऩा स्वाभाविक है।
बसपा के लिए चिंता की बात

जिले में दो सीटें जीतने के बाद रामगढ़ सीट को लेकर बसपा में भारी उत्साह था। इसी माहौल को देखते हुए पूर्व भाजपा विधायक जगतसिंह ने बसपा से ताल ठोकी। नतीजे बता रहे हैं कि परम्परागत वोट बैंक बसपा की तरफ आकर्षित कम हुए हैं। अब लोकसभा चुनाव को लेकर बसपा के लिए यह परिणाम चिंता बढ़ाने वाला होगा।
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