इसकी इंटर्नशिप के दौरान वर्ष 2014 में उनका चयन सिविल सर्विसेज में हो गया। उन्होंने 461वीं रैंक हासिल की। डॉ. रवि मोहन सैनी के पिता मोहन लाल सैनी नौसेना से रिटायर इंजीनियर हैं और फ़िलहाल नयाबास में रह रहे हैं। उन्हीं से प्रेरणा लेकर डॉ. रवि आईपीएस बन गए। आइपीएस रवि ने बताया कि वे बचपन से बाहर ही रहे हैं, हालांकि इस दौरान वे अलवर आते-जाते रहे हैं।
माता-पिता को सफलता का श्रेय डॉ. रवि मोहन सैनी ने बताया की शुरु से ही पढ़ने में उनकी रुचि थी। माता-पिता ने हमेशा ही दिशा निर्देश दिए, आज वे अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता को देते हैं। उन्होंने बताया कि 2013 में उनका इंडियन टेलीकॉम सर्विस में चयन हुआ था, लेकिन अगले साल फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी और आईपीएस बन गए। 2001 में कौन बनेगा करोड़पति की यादें ताजा करते हुए उन्होंने बताया कि वे उस समय दसवीं कक्षा में पढ़ते थे और विशाखापटनम से केबीसी में भाग लेने पहुंचे थे। पहले प्रश्न में लाइफ लाइन लेने के बाद उन्होंने सभी प्रश्नों के सही उत्तर देते हुए 1 करोड़ रुपए जीते थे।
अब लॉक डाउन और कानून व्यवस्था की पालना कराना प्राथमिकता पोरबंदर पुलिस की कमान मिलने के बाद उन्होंने बताया की कोरोना को देखते हुए लॉक डाउन की पालना करना उनकी पहली प्राथमिकता होगी, इसके आलावा जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए काम करेंगे।