अलवर

तो यह कारण है कि अचानक गौतस्कर क्यों सक्रिय हो रहे है।

गौतस्करी पिछले कई दिनों में बढ़ी है, आइए जानतें है इसके पीछे क्या कारण हो सकता है।

अलवरDec 07, 2017 / 04:25 pm

Sujeet Kumar

राजस्थान के कई जिलों में थर्टी-फस्र्ट से ठीक पहले अचानक गोतस्करी बढ़ जाती है। महानगरों के बड़े होटलों और विदेशों में थर्टी-फस्र्ट पर गोमांस परोसा जाता है। एेसे में यहां से गोमांस विदेशों तक जाने की पूरी आशंका है। पुलिस के अधिकारी भी एेसा मानते हैं, लेकिन अधिकारिक रूप से पुष्टि करने से बचते हैं। पिछले कुछ दिनों से अलवर जिले में लगातार गोतस्करों की सक्रियता भी इस ओर इशारा करती है।

अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक इस मांग को पूरा करने के लिए गोतस्कर झुंझुनूं, सीकर, जयपुर ग्रामीण, दौसा, भरतपुर व अलवर आदि इलाकों से गोतस्कर गायों की तस्करी करते हैं। इसके बाद गायों को हरियाणा व राजस्थान के मेवात इलाकों तथा उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद, हाथिया, मुज्जफरनगर व बुलंदशहर के वैध और अवैध बूचड़खानों तक पहुंचाते हैं। यहां से गायों को काटकर गोमांस दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता व चेन्नई आदि महानगरों के फाइव व सेवन स्टार होटलों, दक्षिणी इलाकों और विदेशों में भेजा
जाता है।

2 हजार की गाय के मिलते हैं 24 हजार रुपए :

गली-मोहल्लों व सडक़ों पर आवारा घूमने वाली गायों को गोतस्कर रात को उठाकर ले जाते हैं। इसके अलावा शेखावाटी, जयपुर ग्रामीण और मेवात इलाके से बीमार व कमजोर गायों को 1500 से 2000 रुपए तक खरीदते भी हैं। उसके बाद आगे लेकर जाकर बूचड़खानों में १५ हजार रुपए तक बेच देते हैं। वहां से गोमांस, खाल और हड्डियों को और भी महंगे दामों में आगे बेच दिया जाता है।
सर्दी में ज्यादा पसंद करते हैं

गाय का मांस गर्म होता है। खाड़ी और इसाई आबादी वाले देशों में सर्दी में गोमांस अधिक पसंद किया जाता है। इसके कारण यहां अक्टूबर, नवम्बर, दिसम्बर व जनवरी माह के मामले बढ़ जाते हैं। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक सालभर की कुल गोतस्करी की घटनाओं में करीब 65 फीसदी अक्टूबर से जनवरी माह के बीच ही होती हैं। डिब्बा बंद मांस की आड़ में इन देशों में गोमांस खूब सप्लाई किया जाता है।
लग्जरी गाडि़यों से भी तस्करी


गोतस्करी में मोटे मुनाफे और पुलिस की सख्ती से बचने के लिए तस्कर नए-नए हथकंडे अपनाते हैं। पुलिस को शक नहीं हो, इसके लिए गोतस्कर मंत्री और नेताओं के काफिले में लगने वाली लग्जरी गाडि़यों में भी गोतस्करी को अंजाम देते हैं। पूर्व में अलवर, दौसा और जयपुर ग्रामीण आदि इलाकों में एेसे कई मामले सामने आ चुके हैं। जब गोतस्कर लग्जरी गाडि़यों और वोल्वो बसों में गायों को भरकर ले जाते पकड़े गए हैं। इसके अलावा गाडि़यों के बड़े कंटेनर आदि में भी ले जाते गायें पकड़ी गई हैं।
जिले में गोतस्करी के आंकड़े


वर्ष दर्ज प्रकरण

2014 181

2015 160

2016 117

2017 77 (अक्टूबर तक)

इस साल माहवार गोतस्करी के प्रकरण


माह प्रकरण
जनवरी 12
फरवरी 03
मार्च 11
अप्रेल 08
मई 06
जून 04
जुलाई 12
अगस्त 08
सितम्बर 03
अक्टूबर 11

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