परिवहन विभाग को अलवर से लाखों रुपए का राजस्व मिलता है। प्रतिदिन जिलेभर से हजारों लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने, वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराने, वाहनों का फिटनेस कराने सहित अन्य कार्यों के लिए धोलीधूब स्थित आरटीओ कार्यालय में आना-जाना पड़ता है। आरटीओ कार्यालय में आने-जाने के दो रास्ते हैं। एक रास्ता पहाड़ के पास से घूमकर जाता है, तो दूसरा रास्ता उससे पहले पड़ता है यह रास्ता कार्यालय के सामने खुलता है। यह दोनों रास्ते टूटे हुए हैं। इसमें सैकड़ों पत्थर निकले हुए हैं व गड्ढे हैं।
यह एक किलोमीटर का सफर तय करना किसी बड़ी परीक्षा से कम नहीं रहता है। एेसे रास्ते पर चलने से कमर में झटका व वाहन खराब होने की डर बना रहता है। लोग कई बार रास्तों को बनवाने की मांग उठा चुके हैं, लेकिन किसी का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है। मुख्य रास्ता यूआईटी की तरफ से बनाया जाएगा तो दूसरे रास्ते का मालिक कौन है। इसका अभी तक किसी को पता नहीं है। यूआईटी के अधिकारी कहते हैं कि वो निजी रास्ता है। किसी के खेत से निकला हुआ है।
प्रतिदिन आते हैं हजारों वाहन अलवर के परिवहन विभाग के कार्यालय में प्रतिदिन हजारों वाहन आते है, इस दुर्गम रास्ते पर गाड़ी चलाने से लोगों के वाहनों की हालत ही खराब हो रही है। आरटीओ विभाग का कार्यालय अलवर में सबसे व्यस्त कार्यालयों में से एक है, लेकिन फिर भी यहां आने वाली सडक़ पर अभी तक कोई मरम्मत का कार्य नहीं किया गया है। यहां कार्य प्रारंभ करने में सबसे बड़ी रुकावट यह आ रही है कि यहां प्रतिदिन हजारों वाहन आते हैं, और उन्हें आने के लिए रास्ता चाहिए। अगर रास्ते को दुरुस्त करने का कार्य प्रारंभ करवाना है तो दूसरे रास्ते को उपयोग में लेना होगा।