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जो पिछले 28 सालों में नहीं हुआ, वो अब सरिस्का प्रशासन ने कर दिखाया

locationअलवरPublished: May 12, 2018 02:52:56 pm

Submitted by:

Prem Pathak

तमाम विवादों के बीच सरिस्का प्रशासन ने एक सकारात्मक कार्य किया है। इसकी हर कोई तारीफ कर रहा है।

Sariska administration destroy illegal enchroachment
अलवर. सरिस्का प्रशासन, राजस्व एवं पुलिस की संयुक्त की ओर से शुक्रवार को अलवर बफर रेंज स्थित आड़ा पाड़ा हनुमान मंदिर के समीप वनखंड निदानी के ग्राम अलवर नम्बर दो में 1.04 हैक्टेयर वन भूमि पर पुराने अतिक्रमण को हटाया। कार्रवाई के दौरान वन भूमि पर निर्मित पुराने भवन को पूरी तरह तहस नहस कर दिया गया और भूमि को वन विभाग के कब्जे में लिया गया। वन भूमि से अतिक्रमण हटाने की यह कार्रवाई राजस्थान हाईकोर्ट के निर्णय की पालना में की गई।
सरिस्का प्रशासन के अनुसार अलवर बफर रेंज स्थित आड़ा पाड़ा हनुमान मंदिर के समीप वन विभाग की भूमि है। इसमें से 104 हैक्टेयर भूमि पर करीब 28 साल से श्रवण के परिवार का कब्जा है। श्रवण की मौत के बाद अब उसके पुत्र तेजपाल का कब्जा है। इस भूमि पर पक्के मकान का निर्माण किया हुआ था। वहीं शेष भूमि पर सब्जी की खेती कर रखी थी। न्यायालय के आदेश पर सरिस्का प्रशासन ने पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर वन भूमि में बने मकान को ध्वस्त कर दिया तथा खेती भी उजाड़ दी। इस दौरान वहां रहे परिवार ने विरोध भी किया, लेकिन पुलिस व वनकर्मियों के आगे उनका विरोध चल नहीं पाया। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई सरिस्का के एसीएफ सुरेन्द्र धाकड़ के नेतृत्व में हुई।
कार्रवाई के दौरान मौका मजिस्ट्रेट नीलाभ सक्सेना, थानाधिकारी सदर कैलाश यादव, आरएसी प्लाटून कंमाडर सीताराम, , क्षेत्रीय वन अधिकारी जितेन्द्र चौधरी, धर्मवीर सिंह, संतोष कुमार, धूणीलाल, शंकरसिंह शेखावत, अशोक शर्मा, जितेन्द्र सिंह, गिरदावर हरिकिशन सैनी, पटवारी हल्का अनिता सैनी, वनपाल जितेन्द्र सिंह मौजूद थे।
अलवर बफर रेंज में खूब अतिक्रमण

सरिस्का की अलवर बफर रेंज स्थित प्रतापबंध चौकी के आसपास पुराने व नए अतिक्रमण की भरमार है। खास बात यह है कि सरिस्का प्रशासन की ओर से चिह्नित ईको सेंसेटिव जोन भी यही क्षेत्र है। इसके बावजूद यहां वन भूमि पर अतिक्रमण की इस कदर बाढ़ है कि पुराने नए भवन एवं भूखंड दूर से ही दिखाई पड़ते हैं। जबकि ईको सेंसेटिव जोन में निर्माण तो दूर किसी भी मानवीय गतिविधि की अनुमति नहीं होती।
पुराने जोहड़ को भी नहीं बख्श रहे

प्रतापबंध चौकी के पास स्थित श्मसान स्थल के समीप रियासतकालीन जोहड़ पर भी इन दिनों भूखंड बनाकर बेचने की तैयारी है। भू माफियाओं की ओर से इन दिनों इस जोहड़ को कचरे से भरने का कार्य किया जा रहा है। इसके बाद जोहड़ की भूमि पर भूखंड बनाकर बेचने की आशंका है। जानकारों के अनुसार प्रतापबंध चौकी के आसपास की ज्यादातर जमीन वन भूमि है और यहां हो रहा निर्माण अवैध है।
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