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सरिस्का : जहां मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पर ग्रामीणों ने हमला कर दिया वहां बाघ कितने सुरक्षित, हमेशा बना रहता है खतरा

locationअलवरPublished: Dec 16, 2019 04:38:00 pm

Submitted by:

Hiren Joshi

Sariska Latest News : सरिस्का में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर सहित वन्यकर्मियों पर हमला हो गया, अब आप ही अंदाजा लगाइए कि यहां बाघ कितने सुरक्षित हैं।

Sariska Attack On Chief wildlife guardian Arindam Tomar

सरिस्का : जहां मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पर ग्रामीणों ने हमला कर दिया वहां बाघ कितने सुरक्षित, हमेशा बना रहता है खतरा

अलवर. सरिस्का बाघ परियोजना में संगठित गिरोह पनपने से विभाग के आला अफसर ही सुरक्षित नहीं हैं, ऐसे में वनगार्ड व बाघों की सुरक्षा भगवान भरोसे ही है। लंबे समय से वनकर्मियों का टोटा झेल रहे सरिस्का में विभाग के आला अधिकारियों पर हमले की शनिवार को पहली घटना नहीं हुई, बल्कि इससे पहले भी यहां कई बार डीएफओ स्तर के आला अधिकारियों पर हमले व मारपीट की घटनाएं हो चुकी है, लेकिन सुरक्षा कर्मियों की संख्या में वृद्धि की मांग सरकार की फाइलों से बाहर नहीं निकल सकी है।
सरिस्का में गांवों के विस्थापन की धीमी प्रक्रिया का नुकसान यह हुआ कि वहां कुछ रेंजों में संगठित गिरोह पनपने लगे हैं। ग्रामीणों के संगठित गिरोह का ज्यादा खतरा सरिस्का की रामपुर रेंज, लॉज नाथूसर एवं आसपास के क्षेत्र में मंडरा रहा है। यहां संगठित गिरोह का इस कदर भय है कि वनकर्मियों को ड्यूटी के दौरान ग्रामीणों को चराई से रोकना व हरे पेड़ों की कटाई से रोक पाना मुश्किल हो गया है। वनकर्मी ही नहीं यहां पूर्व बिजली निगम के कर्मचारियों पर भी संगठित गिरोह की ओर से हमले की घटना हो चुकी है, वहीं पुलिस को भी कई बार खाली हाथ लौटना पड़ा है।
रामपुर रेंज में बाघों की मौजूदगी

रामपुर रेंज में बाघ एसटी-13 व एसटी-10 सहित अन्य बाघों की मौजूदगी रहती है। दुर्गम क्षेत्र होने के कारण यहां कुछ लोग संगठित तरीके से जंगल में अपराधों की घटनाएं करते हैं। यहां वन चौकियों पर तैनात वनकर्मियों को भी ड्यूटी के दौरान इन संगठित गिरोह के विरोध का सामना करना पड़ता है। वहीं वनकर्मियों के लिए जंगल में होने वाली अवैध चराई व पेड़ों की कटाई पर रोक लगाना आसान नहीं है। ऐसे में रेंज में बाघों की मॉनिटरिंग मुश्किल हो गई है। बाघों की सुरक्षा को हर समय खतरा रहता है। सरिस्का प्रशासन रामपुर रेंज के कुछ वनकर्मियों के माध्यम से लोगों से समन्वय कर मुश्किल से सुरक्षा का बंदोबस्त कर पाते हैं।
वीपी सिंह कमेटी पूर्व में दे चुकी सुझाव

वर्ष 2005 में राज्य सरकार की ओर से गठित वीपी सिंह कमेटी ने सरिस्का में बाघ संरक्षण, मॉनिटरिंग, शिकार पर रोक सहित अन्य सुझाव दिए थे, लेकिन करीब 14 साल बाद भी रिपोर्ट पर अमल नहीं हो सका, नतीजतन वर्ष 2018 के सर्वे में सरिस्का की रेटिंग लुढक गई। वर्ष 2005 में सरिस्का में बाघों के सफाए के कारणों की जांच एवं इस पर रोक के लिए सुझाव देने के लिए राज्य सरकार ने तत्कालीन सांसद वीपी सिंह की अध्यक्षता में स्टेट एम्पावर्ड कमेटी ऑन फोरेस्ट एण्ड वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट का गठन किया गया था। कमेटी ने सरिस्का में बाघों के शिकार, जंगल में शिकारियों की आसान पहुंच एवं सरिस्का के बाघ विहीन होने के कारणों की जांच कर सरकार को सुझाव दिए थे।
सरिस्का में वनरक्षकों, वनपाल सहित अन्य वन अधिकारियों की संख्या बढ़ाने का सुझाव भी कमेटी ने दिया था। वर्ष 2005 में सरिस्का के 881 वर्ग किलोमीटर की 75 बीटों के लिए 225 वन रक्षकों की जरूरत बताई थी। वर्तमान में सरिस्का का क्षेत्रफल बढकऱ 1213 वर्ग किलोमीटर और बीटों की संख्या 102 हो गई है। इस लिहाज से वर्तमान में सरिस्का में करीब 350 वन रक्षकों की जरूरत है। कमेटी ने सुरक्षा में लगे वनकर्मियों को 45 साल की उम्र होने के बाद इस जिम्मेदारी से मुक्त करने का सुझाव भी दिया था।
पद —–स्वीकृत पद ——-वर्तमान स्थिति

सीसीएफ —–1 ———————-1

डीसीएफ ——2 ———————-2

एसीएफ ——-6——————— 3

रेंजर ———-11——————— 10

वनपाल व सहायक वनपाल —-46 ———————28

वन रक्षक ——-140—————————- 80

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