रणथंभौर से परिस्थिति बेहतर, फिर भी सरिस्का पर पाबंदी सरिस्का परिस्थिति की दृष्टि से रणथंभौर से कई मायने में बेहतर है, फिर भी पर्यटकों पर पाबंदी सरिस्का को ही झेलनी पड़ती है। सरिस्का का जंगल 1213 वर्ग किलोमीटर लंबे भू भाग में फैला है और यहां अभी शावकों सहित कुल 14 बाघ हैं। रणथंभौर क्षेत्रफल में सरिस्का से करीब आधे कुछ ही ज्यादा है और वहां बाघों का कुनबा करीब 60 है। यानि छोटा जंगल और ज्यादा बाघ होने से वहां प्रजनन में बाधा ज्यादा है। वहीं सरिस्का का जंगल बड़ा होने के साथ ही बाघों का कुनबा भी 14 का है, जिससे बाघों को प्रजनन की समस्या अपेक्षाकृत कम है। इसके बावजूद रणथंभौर के पांच जोन खुले और सरिस्का के सभी 6 जोन बंद रखने के आदेश हैं।
ग्रामीणों से नहीं, पर्यटकों से खलल सरिस्का में ग्रामीणों की दस्तक दिन भर दिखाई पड़ती है, इससे सरकार को संभवत: एतराज नहीं है, लेकिन पर्यटकों से जंगल में वन्यजीवों को खलल पड़ता है। सरिस्का व आसपास करीब दो दर्जन गांव हैं। इस कारण ग्रामीणों की खुलेआम जंगल में आवाजाही रहती है। साथ ही मवेशी भी सरिस्का में दिखाई दे जाते हैं। वहीं मंगलवार व शनिवार को श्रद्धालुओं को निशुल्क प्रवेश की व्यवस्था होने से भी परेशानी ज्यादा होती है। इन दो दिनों में सरिस्का में करीब एक हजार छोटे-बड़े वाहनों को प्रवेश दिया जाता है। वहीं पर्यटकों की चार-छह ट्रिप जंगल के लिए नुकसानदेह मानी गई है। यह हालत तो तब है जब गत वर्ष मानसून के दौरान सरिस्का में एक जोन को पर्यटकों के लिए खुला रखा चुका है और यह निर्णय सरिस्का के लिए बेहतर रहा। इतना ही नहीं सरिस्का का अलवर बफर जोन को पर्यटकों के लिए खुला रखा गया है।
प्रजनन काल मान बंद रखते हैं पार्क को मानसून सत्र को बाघ, पैंथर एवं अन्य वन्यजीवों के लिए प्रजनन काल माना जाता है। इस दौरान वन्यजीवों को प्रजनन में व्यवधान उत्पन्न नहीं हो, इसके लिए पार्क को तीन महीने के लिए बंद किया जाता है। यह परिस्थिति सभी नेशनल पार्क पर लागू होती है, लेकिन सरकार की नजर में पार्कों की जरूरत अलग-अलग हो जाती है। तभी तो मानसून के दौरान नेशनल पार्कों के लिए आदेश भी अलग-अलग जारी होने लगे हैं।
सरिस्का का पार्क तीन महीने बंद करने के निर्देश मानसून के दौरान सरिस्का पार्क तीन महीने बंद करने के निर्देश मिले थे। इस कारण एक जुलाई से 30 सितम्बर तक सरिस्का पार्क बंद है।
डॉ. जीएस भारद्वाज, सीसीएफ, सरिस्का बाघ परियोजना
डॉ. जीएस भारद्वाज, सीसीएफ, सरिस्का बाघ परियोजना