मेरठ

सरिस्का क्षेत्र में बांध लबालब हुआ तो सूखे कुएं भर गए, किसानों के चेहरे खिले

अलवर जिले के टहला में बने मानसरोवर बांध के आसपास के क्षेत्र में भूजल स्तर बढऩे से किसानों के चेहरे खिले हुए हैं। मानसून की मेहरवानी से यह संभव हुआ। बांध लबालब हुआ तो भूजल स्तर बढ़ गया।

मेरठFeb 25, 2017 / 10:32 am

Shailesh pandey

sariska

अलवर. अलवर जिले के टहला में बने मानसरोवर बांध के आसपास के क्षेत्र में भूजल स्तर बढऩे से किसानों के चेहरे खिले हुए हैं। मानसून की मेहरवानी से यह संभव हुआ। बांध लबालब हुआ तो भूजल स्तर बढ़ गया।
 नतीजा यह हुआ कि सूखे कुओं में तीन से 25 फीट नीचे ही पानी आ गया है। वर्ष 2004-05 में इन कुओं में पानी सूख गया था। इस इलाके से 15 से 20 किलोमीटर दूर तो एक हजार फीट नीचे तक पानी हैं। 
 कुओं में पानी पहुंच गया

बांध से नहरें बराबर निकली तो आसपास के कुओं में पानी पहुंच गया। जबकि पूरा अलवर जिला डार्क जोन में है। एेसा नहीं है कि अचानक पूरे जिले का जल स्तर ही बढ़ गया लेकिन, बांध भरे तो आसपास के इलाकों का भूजल स्तर बढ़ गया। प्रकृति की इस मेहरबानी को संरक्षित रखे तो पूरे जिले की तस्वीर बदल सकती है।
पहाड़ के ऊपर भी पानी 

मानसरोवर बांध के कई सौ फीट ऊपर पहाड़ पर राजोरगढ़ ग्राम पंचायत है। यहां पानी की कमी नहीं है। पहाड़ों का पानी इस इलाके में रुकता है। पहाड़ के ऊपर समतल जगह पर खूब खेती भी हो रही है।
 पहाड़ पर भी कुएं हैं। जिनमें 30 से 40 फीट पर पानी है। स्थानी निवासी गुलजारी ने बताया कि रामकुण्ड में आसपास का पानी एकत्रित होता है। बारिश अच्छी हुई तो पानी भरा है। इससे जल स्तर बढ़ा और फसल लहलहा उठी।
10 से 30 मीटर तक भूजल नीचे 

जिले में वर्ष 2011 के आसपास नीरामणा, बहरोड़ सहित कई इलाकों में भूजल तेजी से गिरा। इसके बाद कई क्षेत्रों में पानी का अधिक संकट हो गया। जिन क्षेत्रों से नदी या बांध हैं, उनको राहत है।
 अच्छी बारिश के बाद जल स्तर भी बढ़ता है। लेकिन नदी व बांधों से दूर के क्षेत्रों में पानी का संकट गहराता ही जा रहा है। 

एक दशक पहले सूख गए थे कुएं
वर्ष 2004-05 में पड़े अकाल के दौरान भूजल स्तर नीचे गिरा। अलवर जिला डार्क जोन में है। बहरोड़, नीमराणा, राजगढ़, तिजारा, थानागाजी सहित यहां के कई इलाकों में जमीन में पानी ही नहीं है। बोर सूख रहे हैं।
 मानसरोवर बांध के 20 से 25 किलोमीटर दूर के क्षेत्र में एक हजार फीट नीचे पानी नहीं मिल रहा है। थानागाजी के सिलीबावड़ी इलाके में जमीन में 40 से 50 फीट पर ही पानी है। लेकिन करीब 10 किलोमीटर बामनवास की ओर कुओं में सिंचाई लायक पानी नहीं है। खेत खाली पड़े हैं। 
कहां-कहां से कौनसी नदी 

अलवर के हिस्से से साबी, रूपारेल व बाणगंगा, बानसूर से साबी व रूपारेल, बहरोड़ से साबी, किशनगढ़बास से साबी व रूपारेल, मुण्डावर से साबी, लक्ष्मणगढ़ से बाणगंगा, राजगढ़ से रूपारेल व बाणगंगा, रामगढ़ से रूपारेल, थानागाजी से साबी, रूपारेल व बाणगंगा और तिजारा से साबी व रूपारेल नदी कुछ हिस्से से निकलती हैं। नदियों के हिस्सों में फिर भी पानी ऊपर है। 

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