इसलिए है सरिस्का प्रशासन को उम्मीद मानसून काल वन्यजीवों के लिए प्रजनन का श्रेष्ठ समय माना गया है। इस कारण ज्यादातर पार्क में इस दौरान पर्यटकों की आवाजाही को रोक दिया जाता है, जिससे प्रजनन के समय मानवीय खलल नहीं पड़े। सरिस्का में इन दिनों पर्यटकों की आवाजाही पर रोक है। वहीं पिछले दिनों कई बाघ-बाघिन की मैटिंग देखी गई है। इससे सरिस्का प्रशासन को उम्मीद है कि मानसून सत्र के अंतिम दौर में बाघों का कुनबा बढऩे की खुश खबर मिल सकती है।
हरियाली व घास बड़ी होने से अभी पता लगना मुश्किल मानसून के दौरान सरिस्का में इस बार अच्छी बारिश होने से हरियाली छाई हुई है, वहीं घास भी बड़ी हो गई है। इस कारण बाघ-बाघिन तथा अन्य वन्यजीवों के पगमार्क ढूंढ पाना मुश्किल हो रहा है। खासकर बाघिनों के पगमार्क मिलना आसान नहीं है। वैसे भी बाघिन की टैरिटरी बाघ की तुलना में काफी छोटी होती है। इस कारण बाघिन निश्चित दायरे में ही धूमती रहती हैं। हरियाली व घास बड़ी होने के कारण बाघिन की पास से ट्रैकिंग भी संभव नहीं है। इस कारण बाघिन के गर्भवती होने या शावकों को जन्म देने के बारे में पता लगाना मुश्किल है। साथ ही सरिस्का में ज्यादातर बाघिनों के रेडियो कॉलर नहीं होने से भी अभी इस बारे में पता लगाना संभव नहीं है।
रणथंभौर से बाघ-बाघिन का जोड़ा मिलने की उम्मीदें कम रणथंभौर से एक बाघ व बाघिन का जोड़ा सरिस्का लाया जाना है, लेकिन फिलहाल इसकी उम्मीद कम है। सरकार की ओर से बाघ-बाघिन का जोड़ा लाने को हरी झंडी मिलने के बाद भी इस प्रक्रिया में अभी कई अड़चने आ रही हैं। इससे रणथंभौर के भरोसे फिलहाल सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ पाने की उम्मीद कम है।
सरिस्का से ही खुशखबर की उम्मीद सरिस्का से जल्द ही खुशखबर मिलने की उम्मीद है। पिछले दिनों सरिस्का में कई बाघिनों के साथ मेटिंग की सूचना है। एेसे में उम्मीद है कि मानसून सत्र के बाद बाघों का कुनबा बढऩे की खुश खबर मिले।
हेमंत सिंह डीएफओ, सरिस्का बाघ परियोजना