वन क्षेत्र में जरूरी कार्यां पर पाबंदी, अवैध निर्माण को खुली छूट सरिस्का के कोर एरिया में निर्माण कार्यों पर पाबंदी है। इस कारण नटनी का बारा से सरिस्का तक व्यावसायिक निर्माण कार्यों पर रोक है, इसके बाद भी नटनी का बारां से कुशालगढ़ तक अवैध निर्माण की बाढ़ आई हुई है। सरिस्का के आसपास ज्यादातर वन क्षेत्र हैं, यहां व्यावसायिक गतिविधियों पर पाबंदी है, लेकिन सरकारी नियमों का ऐसा पेच कि धड़ाधड़ होटलों का निर्माण होता गया।
नियमों का पेच यह राज्य सरकार के नियमानुसार वर्ष 2015 से पहले निर्मित होटल पर पाबंदी नहीं थी। वहीं 2016 से 20 तक सरिस्का की पैराफेरी के जीरो किलोमीटर में होटल निर्माण की छूट रही। वर्ष 2020 से अब एक किलोमीटर दूरी पर होटल निर्माण का नियम है। इन नियमों के चलते वन अधिकारी व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन पर रोक लगाने में असहाय महसूस करते हैं।
पैराफेरी में भी चल रही व्यावसायिक गतिविधियां सरिस्का की पैराफेरी में व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन हो रहा है। अलवर- सरिस्का मार्ग पर सिलीसेढ़ के समीप से ही सरिस्का क्षेत्र शुरू होता है, लेकिन यहां बड़ी संख्या में व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन हो रहा है। इस मार्ग पर सरिस्का तक कई होटल बन चुके हैं और कई स्थानों पर निर्माण कार्य जारी है। वहीं सिलीसेढ़ क्षेत्र में भी होटल व व्यावसायिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं। इसक अलावा टहला के आसपास का क्षेत्र भी सरिस्का में शामिल है, लेकिन टहला के आसपास बड़ी संख्या में होटल का निर्माण हो गया।
वन क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधियों का यह नुकसान वन क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन का वन्यजीवों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। होटल एवं अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के चलते वन क्षेत्र में मानवीय दखल बढ़ता है, जिससे बाघ एवं अन्य वन्यजीव जंगल से दूर चले जाते हैं। ऐसे में कई बार बाघ एवं अन्य वन्यजीव सरिस्का क्षेत्र से बाहर निकल कर आबादी क्षेत्र में पहुंच जाते हैं।