सरिस्का में बाघों का कुनबा पिछले दिनों घटा है। इसी साल में तीन बाघ सरिस्का में कम हो चुके हैं। वर्तमान में यहां 24 बाघ, बाघिन व शावक हैं। सरिस्का के क्षेत्रफल को देखते हुए यहां फिलहाल बाघों की संख्या कम है। यही कारण है कि सरिस्का में नए बाघों की शिफि्टंग जरूरी हो गई है।रणथंभौर में बाघ संघर्ष में मर रहे, भेजने को तैयार नहीं
रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 70 के पार है। क्षेत्रफल में यह पार्क छोटा होने के कारण यहां के बाघ टाइगर रिजर्व से निकल कर बाहर जा रहे हैं। बाघ आपस में संघर्ष में जान गवां रहे हैं। इतना ही नहीं वर्तमान में 13 से ज्यादा बाघ अभी टाइगर रिजर्व से बाहर हैं। बाघों की संख्या ज्यादा होने के बाद भी रणथंभौर से बाघिन रिदि्ध् को सरिस्का भेजने पर ना नुकर जारी है।
रणथंभौर की होटल लॉबी सरकार पर भारी रणथंभौर टाइगर रिजर्व के आसपास बड़ी संख्या में होटल बने हैं। इनमें कई होटल रसूखदारों के भी हैं। बाघों की संख्या ज्यादा होने से वहां पर्यटकों को साइटिंग भी आसानी से होती है। बाघ दिखने के कारण यहां पर्यटकों की संख्या भी सरिस्का से कई गुना रहती है। इससे यहां मौजूद होटल में पर्यटकों के चलते अच्छा कारोबार होता है। जबकि सरिस्का में बाघ कम होने के कारण पर्यटकों को साइटिंग कम हो पाती है। इस कारण रणथंभौर की तुलना में यहां पर्यटक भी कम पहुंचते हैं। साथ ही सरिस्का के आसपास होटल भी कम हैं। यही कारण है कि रणथंभौर की होटल लॉबी सरिस्का में बाघों की शिफि्टंग से खुश नहीं रही है। वर्ष 2005 में सरिस्का में रणथंभौर से बाघों की शिफि्टंग के दौरान भी यही होटल लॉबी अवरोध उत्पन्न करती रही। बाद में भी जब भी रणथंभौर से सरिस्का में बाघ शिफि्टंग की बात आई, वहां की लॉबी किसी न किसी बहाने उसे टलवाने में जुटी रही। बाघिन रिदि्ध की शिफि्टंग में यही लाबी बड़ी बाधा रही है। इसी कारण राज्य सरकार सभी जरूरी स्तरों पर अनुमति मिलने के बाद भी बाघिन रिदि्ध की शिफि्टंग अब तक नहीं करा पाई है।
सरिस्का में नए बाघ आने चाहिए सरिस्का में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नए बाघों का आना जरूरी है। रणथंभौर में बाघ बढ़ रहे हैं, इसलिए वहां से बाघों की शिफि्टंग होनी चाहिए। यदि रणथंभौर से बाघ नहीं लाने दिए जा रहे तो महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश से बाघ लोन के प्रयास करने चाहिए।
दिनेश दुर्रानी निदेशक सरिस्का टाइगर फाउंडेशन