वर्ष 2005 में बाघ विहिन होने के बाद सरिस्का में रणथंभौर से बाघ लाकर फिर से बसाए गए। बाघ पुनर्वास के बाद सरिस्का में बाघों का कुनबा तेजी से बढ़कर 26 तक पहुंच चुका है, लेकिन इस दौरान आधा दर्जन से ज्यादा बाघों की मौत भी हुई। इनमें बाघ एसटी-1, बाघ एसटी -4, बाघिन एसटी-5, बाघ एसटी-6, बाघ एसटी-11 एवं बाघ एसटी-16 शामिल है। वहीं बाघ एसटी-13 पिछले करीब चार महीनों से लापता है। इसके अलावा बाघिन एसटी-10 के तीन शावकों की भी मौत हुई है। सबसे बड़ी बात सात वयस्क एवं तीन शावकों की मौत के बाद भी एक भी आरोपी को अब तक सजा नहीं हो सकी।
हर बाघ के आरोपी पकड़े गए, बाद में सब छुूट गए बाघ पुनर्वास के बाद सरिस्का में सबसे पहले बाघ एसटी-1 का शिकार भैंस पर जहरीला पदार्थ लगाकर किया गया। इस मामले में सरिस्का प्रशासन ने तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया। करीब 11 साल न्यायालय में मामला विचाराधीन रहा। सरिस्का प्रशासन की ओर से बाघ के शिकार के साक्ष्य भी सौंपे गए, लेकिन पिछले दिनों ही तीनों आरोपियों को दोष मुक्त माना गया। इसी तरह बाघिन एसटी- 5 के शिकारी को भी गिरफ्तार किया गया, लेकिन वह भी जमानत पर बाहर आ गया। इसके अलावा बाघ एसटी-11 के गले में लोहे के तार का फंदा लगाने वाले आरोपी को भी गिरफ्तार किया गया, लेकिन वह भी जमानत पर बाहर आ गया।
आरोपी बाहर आए, दो अधिकारी नप गए सरिस्का में बाघ एसटी-1 के शिकार के आरोप में गिरफ्तार तीनों आरोपी दोष मुक्त माने गए, लेकिन इसी मामले में वर्ष 2010-11 में सरिस्का के तत्कालीन डीएफओ एवं एसीएफ का निलम्बन किया गया था।
कमजोर अन्वेषण भी बड़ा कारण बाघों के शिकार के आरोपियों के कानून के शिकंजे से बाहर निकलने के पीछे एक बड़ा कारण सरिस्का प्रशासन की ओर से मामले में कमजोर अन्वेषण भी रहा है। यह िस्थति तो तब है, जब समय- समय पर सरिस्का के अधिकारियों को ऐसे मामलों के अन्वेषण का प्रशिक्षण दिलाया जाता रहा है।