अलवर

सरिस्का बाघ परियोजना का काला सच, रात होते ही शुरु हो जाते हैं काले कारनामे, जानवरों का होता है शिकार!

Sariska National Park : सरिस्का बाघ के परियोजना के अंर्तगत अलवर बफर जोन में रात होते ही काले कारनामे शुरु हो जात हैं।

अलवरAug 26, 2019 / 05:37 pm

Lubhavan

सरिस्का बाघ परियोजना का काला सच, रात होते ही शुरु हो जाते हैं काले कारनामे, जानवरों का होता है शिकार!

अलवर. Sariska National Park : सरिस्का बाघ परियोजना के अलवर बफर रेंज में बढ़ती व्यावसायिक गतिविधियां वन्यजीवों पर भारी है। शाम होते ही बफर रेंज में समाजकंटकों पहुंचने से वन्यजीवों के शिकार का खतरा बढ़ गया है।
सरिस्का के अलवर बफर रेंज में 20 से ज्यादा पैंथर के अलावा बड़ी संख्या में सांभर, चीतल, नीलगाय सहित अन्य वन्यजीव तथा मोर हैं। पूर्व में करीब एक साल तक बाघ भी रह चुका है। बफर रेंज में कई बार शिकार की घटनाएं भी हो चुकी हैं। बफर रेंज में तीन-चार अवैध व्यावसायिक गतिविधि वर्तमान में अलवर बफर रेंज में तीन-चार स्थानों पर अवैध व्यावसायिक गतिविधियां संचालित हैं। रेस्टोरेंट के नाम पर चल रही अवैध गतिविधियों से वन नियमों का खुला उल्लंघन हो रहा है।
शाम होते ही गुलजार हो जाता है इलाका

अलवर बफर रेंज शहर के समीप होने के कारण शाम होते ही समाजकंटक वहां पहुंच जाते हैं। बफर रेंज में शराब व बीयर की बड़ी मात्रा में पड़ी खाली बोतलें यहां समाजकंटकों की सहज पहुंच को पुख्ता करती हैं। अंधेरा व सुनसान इलाका होने के कारण समाजकंटकों की आड़ में शिकारियों के घुसने की आशंका भी रहती है। किशनकुंड, अंधेरी, प्रतापबंध सहित अन्य स्थानों पर समाजकंटकों उपस्थिति सामान्य बात है।
बड़ी संख्या में मृत मिले थे मोर व सांभर

अलवर बफर रेंज में पूर्व में बड़ी संख्या में मोर व सांभर सहित अन्य वन्यजीव मृत अवस्था में मिल चुके हैं। हालांकि बाद में इनकी मौत का कारण लावारिस कुत्तों के हमले, प्लास्टिक व पॉलीथिन खाना बताया गया, लेकिन इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि वन्यजीवों की मौत का कारण समाजकंटक व शिकारी हों। पिछले दिनों भी किशनकुंड में एक सांभर के मृत पड़े होने की सूचना अलवर बफर रेंज अधिकारियों को मिली थी। बाद में उसकी मौत का प्रारंभिक कारण प्राकृतिक बताया गया।
वन क्षेत्र में नियम कड़े, पालना का अभाव

वन अधिनियम में वन क्षेत्र में किसी भी प्रकार के निर्माण, अवैध एवं व्यावसायिक गतिविधि के संचालन की छूट नहीं है, लेकिन अलवर बफर रेंज में विभिन्न नाम से रेस्टोरेंट संचालित हैं, जहां देर रात तक लोगों की भीड़ रहती है। बफर रेंज में वन भूमि पर अनेक स्थानों पर अतिक्रमण भी है, लेकिन कार्रवाई के अभाव में इन गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई की रफ्तार सुस्त रही है।
अलवर बफर रेंज में रेस्टोरेंट आदि का निर्माण उनकी खातेदारी जमीन पर किया हुआ है। रेंज में वन विभाग की भूमि पर किसी प्रकार की अवैध व्यावसायिक गतिविधि संचालित नहीं है। फिर भी जांच कराई जाएगी। रेस्टोरेंट की वैद्यता को लेकर सम्बन्धित विभागों को जांच करनी चाहिए।
घनश्याम चौधरी, रेंजर, अलवर बफर रेंज
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