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अलवर मूसी महारानी की छतरी के पास रात में पैंथर का राज

locationअलवरPublished: Feb 22, 2020 11:40:15 pm

Submitted by:

Prem Pathak

अलवर. खूंखार वन्यजीव बाघ व पैंथर का जंगल से बाहर निकल आबादी तक पहुंचने का सिलसिला थम नहीं रहा है। रणथंभौर में करीब दो दर्जन बाघों एवं सरिस्का बाघ परियोजना से शावकों के बाहर निकलने के बाद अब अलवर बफर क्षेत्र में पैंथर जंगल से बाहर निकल कर शहर की पुरानी आबादी क्षेत्र में पहुंचने लगे हैं।

अलवर मूसी महारानी की छतरी के पास रात में पैंथर का राज

अलवर मूसी महारानी की छतरी के पास रात में पैंथर का राज


अलवर. खूंखार वन्यजीव बाघ व पैंथर का जंगल से बाहर निकल आबादी तक पहुंचने का सिलसिला थम नहीं रहा है। रणथंभौर में करीब दो दर्जन बाघों एवं सरिस्का बाघ परियोजना से शावकों के बाहर निकलने के बाद अब अलवर बफर क्षेत्र में पैंथर जंगल से बाहर निकल कर शहर की पुरानी आबादी क्षेत्र में पहुंचने लगे हैं। शहर के समीपवर्ती सागर, मूसी महारानी की छतरी के पीछे, मंशा देवी मंदिर व किशन कुंड तक पैंथरों की आसान पहुंच होने से आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोग भयग्रस्त हैं।
शहर के आबादी क्षेत्र में पैंथरों की पहुंच नई बात नहीं है। पूर्व में दो बार पैंथर अलवर बफर क्षेत्र से निकल शहर की पॉश कॉलोनियां व क्षेत्र तक आसान पहुंच बना चुके हैं। पूर्व में शहर की स्कीम नम्बर एक व जीडी कॉलेज रोड स्थित जयकृष्ण क्लब, वन विभाग के कार्यालय तक पैंथर पहुंच चुके हैं। वहीं पिछले दिनों समीपवर्ती हाजीपुर ढढीकर क्षेत्र में वन्यजीव करीब आधा दर्जन ग्रामीणों को घायल कर चुके हैं। पैंथरों की आबादी क्षेत्र में आसान पहुंच के बावजूद सरिस्का व वन प्रशासन इनके जंगल से बाहर निकलने के असल कारणों का पता नहीं लगा सके हैं।
आखिर जंगल से बाहर क्यों निकल रहे पैंथर?

पैंथरों के जंगल से बाहर निकलने के कई कारण संभव है। इनमें फूूड चेन सांभर व अन्य वन्यजीवों का जंगल छोड़ आबादी क्षेत्र में आना, जंगल में पानी की कमी होना, जंगल में मानवीय दखल बढऩा, पैंथरों की ओर से नई टैरिटरी की तलाश व पैंथरों की ओर से शावकों के जन्म देने, अलवर बफर क्षेत्र में पैंथरों की संख्या में वृद्धि सहित कई अन्य कारण हैं। सागर व आसपास के क्षेत्र में कुत्तों की अधिकता होने तथा सांभरों के तरणताल सागर से आगे आबादी क्षेत्र तक आने के कारण पैंथर शिकार की तलाश में उनके पीछे-पीछे आबादी क्षेत्र तक पहुंच रहे हैं। वहीं पानी की तलाश में भी पैंथर सागर तक पहुंचने लगे हैं। अलवर बफर क्षेत्र में अतिक्रमण के चलते मानवीय दखल बढ़ी है, इस कारण भी पैंथर आबादी क्षेत्र में आ रहे हैं। अलवर बफर क्षेत्र में पैंथरों की संख्या में भी तेजी से वृद्धि हुई है, इस कारण पैंथर नई टैरिटरी की तलाश में किशनकुंड, मंशा माता मंदिर के पीछे, मूसी महारानी महारानी की छतरी के पास तक पहुंचने लगे हैं।
बाघ की दस्तक तो नहीं

अलवर बफर क्षेत्र से पैंथरों की आबादी क्षेत्र में पहुंच के लिए कुछ वन्यजीव विशेषज्ञ अलवर बफर क्षेत्र में बाघ की दस्तक को बड़ा कारण मानते हैं। इन वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि अलवर बफर क्षेत्र में पिछले दिनों बाघिन एसटी-19 ने दस्तक दी है। इससे पहले भी शावक इस क्षेत्र में आ चुके हैं। बाघों की दस्तक के चलते पैंथर आबादी की ओर से खिसक नई टैरिटरी की तलाश में जुट गए हैं।
स्थानीय लोग बोले-हमने देखा बघेरा व शावक

तीन-चार दिन पहले रात करीब 11.30 बजे मैंने मेरे मकान के आगे-पीछे से बघेरा को आते देखा है। उसके साथ एक शावक भी था। बघेरा मेरे मकान वाले रोड से उतर रहा था।
श्रवण कुमार सक्सैना, सागर ऊपर

पैंथर का इस क्षेत्र में नियमित रात 11.30 से सुबह 3-4 बजे तक आना रहता है। पिछले करीब डेढ़ महीने से बघेरा इस क्षेत्र में आ रहा है। करीब तीन पहले चट्टान पर दो बघेरे व शावक देखें हैं।
विनय सिंह नरूका, सागर ऊपर लड्डू खास मंदिर

पिछले कुछ दिनों से पैंथर का मूवमेंट है

सागर व मूसी महारानी की छतरी के पीछे की ओर पिछले कुछ दिनों से पैंथर के मूवमेंट की बात आई है। टीम को निगरानी के निर्देश दिए हैं। पैंथर आने के कारणों का पता लगाया जा रहा है।
सेढूराम यादव

डीएफओ, सरिस्का बाघ परियोजना

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